लखनऊ : यूपी सरकार की कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम की लुटिया अब डूबती नजर आ रही है. आलम यह है कि निगम के प्रबंध निदेशक आरके गोयल की पहुँच के चलते कई परियोजना निदेशक अपनी जुबान पर ताला डालकर बैठे हैं. बताया जाता है कि निगम के हजारो करोड़ रुपये के कई बड़े कार्य 'बैक टू बैक' कराये जा रहे हैं. जिसके चलते निगम के कई परियोजना निदेशक और कर्मचारी बैठे मक्खी मार रहे हैं. दरअसल इन कर्मचारियों के पास कोई कार्य ही नहीं है करने के लिए. जिसके चलते निगम को हजारों करोड़ रुपये की आर्थिक क्षति इन कर्मचारियों को वेतन देने से हो रही है.
कर्मचारियों के पास कार्य ही नहीं
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम यूपी सरकार की कार्यदायी संस्था है, जिसका काम राज्य और राज्य के बाहर सरकारी संस्थानों के कार्यों का ठेका लेना और उसे खुद कराना. लेकिन निगम के प्रबंध निदेशक कई कार्यों को प्राइवेट ठेकेदारों को सौंप कर उनसे करा रहे हैं. जिसके चलते निगम के कर्मचारी बेकार बैठे हैं. यहाँ तक कि निगम अपने इन कर्मचारियों को प्रतिमाह हजारों करोड़ रुपये का वेतन सिर्फ काम के एवज में भुगतान कर रहा है. बताया जाता है चूँकि निर्माण निगम कार्यदायी संस्था है. इसलिए उसके पास खुद के काम करने वाले कर्मचारी मौजूद हैं. लेकिन निगम के प्रबंध निदेशक आरके गोयल ने कई बड़े कार्य 'बैक टू बैक' अपने चाहते ठेकेदारों को देकर उनसे करा रहे हैं. नतीजतन निगम के कर्मचारी बिना कार्य के प्रतिमाह वेतन ले रहे हैं.
ब्लैक लिस्टेड फर्म सेवा डेवलपर्स को करोड़ों का कार्य
सूत्रों के मुताबिक इतना ही नहीं कर्मचारी तो कर्मचारी कई परियोजना निदेशक भी कोई कार्य ना होने के कारण अपनी कुर्सी पर बैठे दिनभर मक्खी मारते नजर आते हैं. यही नहीं सत्ता के गलियारे में खासी घुसपैठ रखने वाले निगम के प्रबंध निदेशक गोयल का नाम इससे पहले भी कई बार गड़बड़ घोटालों में आया था, लेकिन सबकुछ मैनेज करने के हरफनमौला खिलाडी कहे जाने वाले आरके गोयल ने यहाँ तक कि सीबीआई तक से अपनी जाँच की पत्रावली दबवा दी. मालूम हो कि 40 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी दिखाकर पूर्व में सेवा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को अग्रिम धनराशि का भुगतान बिना कार्य किये ही करा दिया गया था. इस मामले की जाँच भी सीबीआई को सौंपी गयी थी, लेकिन ये जाँच भी दब गयी. और तो और पूर्व में सेवा डेवलपर्स को निर्माण निगम 'ब्लैक लिस्टेड' कर चुका है. बावजूद इसके सेवा डेवलपर्स निगम में करोड़ों रुपये के कार्य इस समय कर रहा है.
योग्य इंजीनियरों को किया MD ने किया नजरअंदाज
सूत्रों के मुताबिक निगम के कई बड़े अनुभवी परियोजना निदेशक लंबे समय से खली बैठे हैं, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं सौंपा गया है. जानकारों का कहना है कि निगम के पास कई ऐसे इंजीनियर हैं, जो काफी योग्य हैं. इन इंजीनियरों में गुफरान हाश्मी, एके शुक्ला और इलाहाबाद में तैनात परियोजना निदेशक राय प्रमुख हैं. लेकिन इन इंजीनियरों में गोयल के चहेते इंजीनियरों वाली काबिलियत नहीं है. जिसके चलते हजार-हजार करोड़ रुपये के कार्य प्रबंध निदेशक के चहेते परियोजना निदेशकों के पास ही है. इन चहेते इंजीनियरों में अविनाश यादव, प्रमोद यादव और समीर गुप्ता प्रमुख हैं. बहरहाल केंद्र और यूपी में एक तरफ जहां बीजेपी की सरकार राज्य और देश से भ्रष्टाचार मिटाने की बात कह रही है,वहीँ इन घोटालेबाज इंजीनियरों को सजा के रूप में सरकार तोहफे बांटती रही है, जिसके चलते इनके हौसले बुलंद हैं.