नई दिल्ली : यूपी में परिवहन विभाग के बाद बिजली विभाग में कालाधन सफ़ेद करने की खबर आ रही है. ये आरोप कोई और नहीं बल्कि बिजली विभाग के आंकड़े खुद ही बयां कर रहे हैं. दरअसल मोदी की ब्लैकमनी पर चली सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बिजली विभाग की राजस्व वसूली 500 फीसदी की उछाल पर दिखाई दे रही है. और तो और इस मामले में विभाग के आला अफसरों ने चुप्पी साध ली है.
अफसर राजस्व वसूली की आड़ में लगे खेल करने में
सूत्रों के मुताबिक 8 नवंबर को पीएम मोदी ने जनता से जैसे ही 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी का आह्वाहन किया. उसके बाद से तो जनता और जनार्धन दोनों रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. बताया जाता है कि 9 नवंबर से लेकर 13 नवंबर तक बिजली विभाग के खजाने में जमकर बकायेदार लंबी कतारों में लगकर बिल जमा करने के लिए खड़े रहे. जिसके चलते 500 फीसदी वसूली हो गयी.
गवाह बने आंकड़े
बिजली विभाग में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 9 नवंबर को 2 .07 करोड़, 10 नवंबर को 10 .75 करोड़, 11 नवंबर को 55 .07 करोड़, 12 नवंबर को 18 .30 करोड़ और 13 नवंबर को 16 .44 करोड़ रुपये बकायेदारों ने जमा किये. बताया जाता है कि मोदी की कालेधन पर की गयी इस कार्रवाई का ठीकरा जहां कारोबारी और व्यापार ियों पर फूटा वहीँ कई अफसरों ने भी ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए अपने -अपने बिल चुकता कर दिए. यही नहीं इन बकायेदारों के साथ -साथ बिजली विभाग के अफसर भी काफी गदगद बताये जाते हैं.
बिल भुगतान करना ज्यादा अच्छा समझा
सूत्रों के मुताबिक बैंक में 500 और 1000 हजार की नोट बदलने में दिक्कत आते देख सरकारी विभागों के खातों में जमकर रकम लोगों ने जमा करना अच्छा समझा. जिसके चलते इतनी रकम जमा हुई कि जिसने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए. बताया जाता है की इतनी बड़ी रकम देखकर बड़े घपलों के उस्ताद लेस के प्रबन्ध निदेशक एपी मिश्रा ने भी कालेधन को सफ़ेद करने का खेल शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं इस खेल में विभागीय मंत्री भी प्लेयर बन गए हैं. सूत्रों का दावा है कि विभाग में जमकर कालेधन को सफ़ेद करने का काम शुरू कर दिया गया है.
भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है
इसका जीता जगता नमूना ये है कि राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के 17 जिलों में बने ई-सुविधा केंद्रों पर भीड़ छटने का नाम ही नहीं ले रही है. दिलचस्प यह है कि मोदी की अपील के बाद विभाग ये दावा कर रहा है कि इस महीने अगर काउंटर नहीं खोले जायेंगे तो छोटे नोट को लेकर किल्लत आएगी. बहरहाल इसी आड़ में कालेधन को सफ़ेद करने का कारोबार अफसरों ने शुरू कर दिया है.