नई दिल्ली: प्रतापगढ़ के चुनावी पिच पर कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया से लेकर मध्य प्रदेश के बीहड़ के कुख्यात डाकू ददुआ के भतीजे रामसिंह पटेल तक मैदान में उतरे चुके हैं। इसी के चलते प्रतापगढ़ का चुनावी मुकाबला काफ़ी दिलचस्प माना जा रहा है। इस चुनाव में आधा दर्जन मंत्री और तीन सांसदों की प्रतिष्ठा बुरी तरह से दांव पर लगी है। प्रतापगढ़ के चुनावी रार में कैबिनेट राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और प्रतापगढ़ के सांसद कुंवर हरिवंश सिंह और प्रमोद तिवारी का सम्मान जुड़ा है। प्रतापगढ़ की जनता बाहुबलियों को भय के कारण वोट करती है । प्रतापगढ़ में सात विधानसभा सीटे हैं। इसमें रामपुर खास विधानसभा सीट आराधना मिश्रा के नाम हैं। विश्वनाथगंज सीट अपना दल के राकेश वर्मा के नाम है। बाकी रानीगंज अखिलेश सरकार के मंत्री शिवाकांत ओझा और कुंडा रघुराज प्रताप सिंह के नाम हैं। पटटी विधानसभा में सपा के विधायक बीहड़ के कुख्यात डाकू ददुआ के भतीजे रामसिंह पटेल है। प्रतापगढ़ से नागेंद्र यादव और बाबागंज से विनोद सरोज सपा विधायक हैं।
मोदी की मंत्री को मिली प्रतापगढ़ की ज़िम्मेदारी
मोदी कैबिनेट की युवा मंत्री अनुप्रिया पटेल के पास प्रतापगढ़ की ज़िम्मेदारी है। इसके बाद इनके सांसद हरिवंश सिंह को इन्हीं के सहयोग में जोड़ा गया है। लेकिन हरिवंश सिंह चुनाव के बाद कभी प्रतापगढ़ नहीं आए हैं जबकि वे प्रतापगढ़ से सांसद हैं। सपा उम्मीदवार के राजतिलक की जिम्मेदारी रघुराज प्रताप सिंह और शिवाकांत ओझा के पास है। बसपा की मायावती ने प्रतापगढ़ की कमान खुद संभाल रखी है। कांग्रेस के लिए प्रमोद तिवारी और रत्ना सिंह जुटे हैं। प्रतापगढ़ की पहचान अपराध से जुड़ी है। सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इसका खुलासा पहले ही कर चुके हैं। लेकिन वे भी अपराध नहीं रोक पाए थे। प्रतापगढ़ का चुनाव बाहुबलियों के नाम पर होता है। यह अलग बात है कि मायावती सरकार आने के बाद प्रतापगढ़ पूरी तरीके से अपराध मुक्त हो जाता है।
सीटें बचाने की चुनौती
इस चुनाव में कांग्रेस, सपा और अपना दल को सीट बचाने की चुनौती है। बाकी भाजपा और बसपा को नए सिरे से खाता खोलने की चुनौती है। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और बसपा का खाता भी नहीं खुला था। पिछले चुनाव में पटटी से राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह भाजपा के उम्मीदवार थे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद मतगणना में हरा दिए गए थे। इस सीट पर बीहड़ के कुख्यात डाकू ददुआ का भतीजा रामसिंह सपा का विधायक है। मोती सिंह जीत के बाद हार का मुकदमा लेकर हाई कोर्ट गए थे। हाई कोर्ट ने मोती सिंह को विधायक मान लिया था। लेकिन रामसिंह पटेल हाई कोर्ट के फैसले को लेकर सुर्पीम कोर्ट चले गए है। इससे मोती सिंह का मामला विचाराधीन है। फिलहाल मोती सिंह इस चुनाव में सदन जाने के लिए जनता की अदालत में खड़े हैं। इनके खिलाफ रामसिंह पटेल सपा के उम्मीदवार हैं। पटटी में भाजपा से राजेंद्र सिंह और सपा से रामसिंह पटेल फिर आमने-सामने हैं। राजेंद्र सिंह उर्फ मोती सिंह राजनाथ सिंह के करीबी और पूर्व भाजपा मंत्री हैं। इनकी लोकप्रियता प्रतापगढ़ में किसी से छिपी नहीं है। रानीगंज विधानसभा के शिवाकांत ओझा अखिलेश सरकार में मंत्री है। इनके मुकाबले में भाजपा ने धीरज ओझा को टिकट दिया है। इससे शिवाकांत ओझा की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
निर्दलीय होकर भी बेफ़िक्रे राजा भैया
शिवाकांत ओझा चुनावी दलदल में बुरे फंस गए हैं। कुंडा की पहचान रघुराज प्रताप सिंह के नाम से मानी जाती है। राजा भैया कुंडा सीट से पांच बार निर्दलीय विधायक बन चुके हैं। इस बार इनके खिलाफ भाजपा के जानकी प्रसाद पांडेय है। प्रतापगढ़ के भदरी राजघराने के राजा भैया कई दल बदल चुके हैं। इनकी छवि बाहुबली नेता की है। राजा भैया भाजपा की कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और राम प्रकाश गुप्ता की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इसके बाद मायावती सरकार में इनके ऊपर पोटा लगा था लेकिन मुलायम सरकार पोटा हटा कर राजा भैया को कैबिनेट मंत्री बनाया था। इसके बाद अखिलेश सरकार में मंत्री थे। लेकिन कुडा के सीओ जियाउल हक की हत्या में फंसने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दिए थे। लेकिन सीबीआइ जांच के बाद राजा भैया अखिलेश सरकार में मंत्री है। इस चुनाव में छक्का मारने के लिए निर्दलीय मैदान में है। इन्हीं के नाम से बाबागंज की सीट पर इनके सहयोगी विनोद सरोज विधायक बनते हैं। इन दोनों सीट से राजा भैया का सम्मान जुड़ा है। रामपुर खास कांग्रेस के नाम है। प्रमोद तिवारी के बाद अब आराधना मिश्रा विधायक है।
मुश्क़िल में नेता
इस सीट पर काफी लोग वापसी के लिए छटपटा रहे है। वहीं आराधना दूसरी बार जनता की अदालत में खड़ी है। प्रमोद तिवारी की तरह इनकी विधायक बेटी मोना भी लोकप्रिय और मिलनसार है। इनकी विधानसभा में इनका विकास काम बोलता है। विपक्ष में होने के बाद भी आराधना ने विकास को तेजी से गति दिया है। जिले में सबसे बेहतर सड़के रामपुर खास की है। मोना को घेरने के लिए भाजपा के नागेंद्र सिंह मैदान में है। लेकिन रामपुर खास सपा कांग्रेस के गठबंधन में है। इनके चुनाव की कमान काला कांकर राजघराने की राजकुमारी व सांसद रत्ना सिंह सांसद प्रमोद तिवारी और इनकी बहन सोना ने संभाल रखी है। प्रतापगढ़ के सपा विधायक नागेंद्र यादव के खिलाफ अपना दल और भाजपा गठबंधन के सामूहिक उम्मीदवार है। इससे इनकी सीट खतरे में है।