हिंदी दिवस पर विशेष___ *प्रतियोगिता हेतु* *मातृभाषा,हिन्दी* *हास्य,कविता* 🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦🥦 देश हमारा उन्नति पर है, सब अंग्रेजी बतलाते हैं ।हिंदुस्तान के युवा हिंदी, अब कहते भी शर्माते है ।🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷कविता हो या छन्द-वन्दना,
महोदय आपको सादर प्रणाम मैंने कुछ दोहे आपको लिंक में भेंजे है आपको अच्छा लगे तो सूचित करे ...और प्रकाशित कर सके तो बड़ी कृपा होगी बहुत बहुत धन्यबाद रुपेश धनगर मथुरा 9410490520 9760986966
ये माटी में मिल जाएगी,मिल जाएगी रे बन्दे कंचन काया कंचन काया,उस मालिक ने सब जीवो में तुझको सरेष्ठ बनाया है.मोह माया में फस कर तूने जीवन व्यर्थ गवाया है,सात कर्मो के खातिर तूने पाई है बन्दे कंचन काया,ये माटी में मिल जाएगी.....हर पल तेरी सांसे घटती जीवन एक जलमेला है,जगत जाल में आन फसा तू खुद को ऐसा बो
सज सवंरके आती हैं जब वो सखियों के संग में लजाती लुभाती स्वयं में सकुचाती हर क़दम हर आहट पे रखती हैं ध्यान कहीं कोई अनजाना रस्ता न रोक ले कोई छू न ले उन अनछुई कोमल कलियों को
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