हिंदी दिवस पर विशेष___
*प्रतियोगिता हेतु*
*मातृभाषा,हिन्दी*
*हास्य,कविता*
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देश हमारा उन्नति पर है,
सब अंग्रेजी बतलाते हैं ।
हिंदुस्तान के युवा हिंदी,
अब कहते भी शर्माते है ।
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कविता हो या छन्द-वन्दना,
कुछ ऐसा तुम श्रंगार करो ।
हिंदी के नौ रस छन्दो से,
मन चाहें जैसा भाव भरो ।
गाँवों में अब भी हिंदी में,
सब बूढ़े जन बतलाते है ।
हिंदुस्तान के युवा हिंदी,
अब कहते भी शर्माते है।
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हिंदुस्तान में जन्म हुआ,
तुम हिंदी का सम्मान करो ।
तुम पढो-लिखो कुछ भी लेकिन,
मत हिंदी का अपमान करो ।
राजभाषा छोड़के अब वो,
अंग्रजी पढ़ने जाते हैं ।
हिंदुस्तान के युवा हिंदी,
अब कहते भी शर्माते है ।
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साहित्यकारों ने मेहनत,
कर आज सफलता पायी है ।
वर्षो कलम चलाई सब ने,
तब हिंदी पर तरुणाई है ।
अब हिंदी को स्वीकार करो,
क्यों आप मजाक बनाते है ।
हिंदुस्तान के युवा हिंदी,
अब कहते भी शर्माते है ।
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सारे जग में रौशन कर दो,
घर-घर में स्वीकार करो ।
हे हिन्दुस्तनी मानव तुम,
कुछ हिंदी पर उपकार करो ।
कुछ शहरी बाबू बड़े हुये,
वो हिंदी से कतराते हैं ।
हिंदुस्तान के युवा हिंदी,
अब कहते भी शर्माते है ।
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युवा-वृध्द या बालक हो सब ,
मिल हिंदी का विस्तार करो ।
अंग्रेजी माध्यम जो पढ़ते,
उन्हें हिंदी भी प्रदान करो ।
पापा मम्मी भूल गये वो,
अब डैडी मॉम बुलाते हैं ।
हिंदुस्तान के युवा हिंदी,
अब कहते भी शर्माते है ।
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स्वरचित:-
अभिनव मिश्रा✍️✍️
( शाहजहांपुर )
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