नई दिल्ली : भारत में पुरुषों और महिलाओं की समानता और आज़ादी को लेकर को लेकर इस दौर में भी लगातार बहस जारी है। स्कूल-कॉलेजों में लड़कियों पर आज भी तरह-तरह के प्रतिबन्ध लगाए जाते हैं। इसको लेकर कुछ समय पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्राओं को हॉस्टल उन पर थोपी गई पाबंदियों के खिलाफ 'पिंजड़ा तोड़' जैसा अभियान चलाना पड़ा। अब सवाल ये हैं कि जिन शिक्षण संस्थाओं को लड़के और लड़कियों की समानता लड़ना चाहिए था वह ही उनके समानता के बीच खाई तैयार कर रहे हैं। इन शिक्षण संस्थाओं का महिलाओं को लेकर नजरिया ठीक उसी तरह का है जैसा पारंपरिक खाप पंचायतों का रहा है।
ताजा उदाहरण कर्नाटक के मंगलौर स्थित 'सेंट अलॉयसियस कॉलेज' में छात्र-छात्राओं के लिए कॉलेज में बनाए गए नियम हैरान कर देने वाले वाले हैं। कॉलेज में लड़कियों के लिए बनाये गए नियम सोशल मीडिया में जब सर्कुलेट हुए तो ज्यादातर लोगों को पढ़कर यही लगा कि यह किसी ने जानबूझकर मजाकिया तौर पर किया है। लेकिन सेंट अलॉयसियस कॉलेज में पढ़ चुकी छात्रा सतश्या अन्ना, जो नॉएडा में एक न्यूज़ चैनल में काम कर रही हैं, ने अपने फेसबुक पोस्ट में खुलासा किया की दरअसल यह मजाक नहीं बल्कि हकीकत है।
कॉलेज में किसी कलरफुल लिपिस्टिक का इस्तेमाल छात्राओं द्वारा नहीं किया जाएगा, सिर्फ बिना कलर वाली लिप ग्लास का इस्तेमाल किया जा सकता है।
किसी भी छात्रा के बैग में कोई कॉसमेटिक का सामान हैवी मेकअप को अनुमति नहीं दी जाएगी।
छात्राओं को ज्याद मात्रा में आँखों पर काजल लगाने की अनुमति नहीं होगी। छात्र-छात्राएं केवल ब्लैक कलर के जूते पहन सकते हैं।
इसमें कहा गया है की बालों को खुला छोड़कर आप कॉलेज में नहीं आ सकते। यहाँ तक कि बालों पर कलर करना भी नियमों के खिलाफ होगा।
छात्रों के बिहेवियर को लेकर इन नियमों में कहा गया है कि कैंपस के अंदर किसी भी छात्रा को किसी छात्र के नजदीक नहीं पाया जाना चाहिए। यहाँ तक कि छात्र और छात्रा एक दूसरे को छू भी नहीं सकते।
कॉलेज ने अपनी नियमावली में लिखा है कि लड़कों के किसी ग्रुप से कोई अकेली लड़की बातचीत भी नहीं कर सकती ऐसा ही लड़कों के मामले में होगा। यही नहीं कोई छात्र पेड़ के नीचे भी नहीं बैठ सकता।
नेल आर्ट या शरीर पर टेटू बनाने की अनुमति किसी को नहीं दी जायेगी। मेहंदी लगाने की अनुमति केवल पारिवारिक समारोहों पर ही दी जाएगी।