नई दिल्ली : आशुतोष राजनीति क विचार से अचानक ओशो जैसे दार्शनिक बन गए हैं और उन्होंने अपनी पार्टी से बर्खास्त मंत्री संदीप कुमार का पक्ष लेते हुए अपने एक लेख में उसे मनुष्य की जिंदगी का हिस्सा बताया है. यही नहीं आशुतोष ने संदीप कुमार जैसे नेता की तुलना पण्डित जवाहर लाल नेहरू, राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी, समाजवादी विचार वाले डॉ राम मनोहर लोहिया और देश के युग पुरुष कहे जाने वाले नेता अटल बिहारी वाजपेयी से की है.
पुराने नेता बड़े भाग्यशाली थे, नहीं तो नप जाते स्टिंग में
इसके साथ उन्होंने अपने विचार रखते हुए इस लेख में यह भी कहा है कि बड़े भाग्यशाली थे यह नेता, जिनके समय में स्टिंग और टीवी जैसे न्यूज़ चैनल नहीं थे. उन्होंने लिखा है कि अगर उस समय देश में स्टिंग ऑपरेशन हो रहे होते तो देश कि यह नामीगिरामी हस्तियां भी सेक्स रैकेटकांड जैसे स्कैंडल में फंस गए होते. NDTV कि अंग्रेजी वेबसाइट पर छपे इस लेख की शुरवात आशुतोष ने चैनलों पर दिखाए गए उस वीडियो से की है, जिसमें संदीप और उस महिला को सेक्स करते हुए दिखाया गया है.
रजामंदी से हुआ सेक्स तो कैसा अपराध : आशुतोष
आशुतोष ने अपने लेख में शुरुआत वीडियो से करते हुए की है ,जिसमें एक मर्द को एक महिला के साथ संभोग करते हुए दिखाया गया है. उन्होंने लिखा है कि इस वीडियो को देखने से यह लगता है की दोनों की रजामंदी से ही यह शारीरिक संबंध बनाये जा रहे थे, क्योंकि वीडियो में जो स्थान दिखाई दे रहा है. वह निजी जगह है. सवाल है कि अगर कोई वयस्क सहमति के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, तो क्या यह अपराध है ? उन्होंने अपने विचार रखते हुए लेख के जरिये यह सवाल किया है कि क्या किसी की निजी जिंदगी का वीडियो चैनल और अख़बार की सुर्खियां बन सकता है ?
जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काज़ी ?
आशुतोष ने यह भी लिखा है कि वीडियो में जिस महिला को संदीप के साथ सेक्स करते हुए दिखाया गया है. उस महिला ने न तो इस कृत्य कि किसी से शिकायत की है और न ही कोई FIR दर्ज कराई है. और न ही किसी मंच या फोरम में इस मामले की शिकायत की है. इतना ही नहीं महिला ने इस मामले की न तो संदीप के परिवार से कोई शिकायत की है. और तो और संदीप ने भी उसे ब्लैकमेल नहीं किया है शारीरिक संबंध बनाने के लिए. यह मामला जब बलात्कार का नहीं, तो इस वीडियो को लेकर संदीप और आम आदमी पार्टी से उसे जोड़कर क्यों दिखाया जा रहा है. जबकि यह किसी की निजी जिंदगी से जुड़ा हुआ मामला है.
देश में सेक्स की परंपरा पुरानी
परंपरा यही रही है कि कोई नेता सार्वजानिक स्थान पर शराब, सिगरेट और किसी महिला के साथ अठेलियाँ नहीं कर सकते. लेकिन क्या उस आदमी को अपनी प्राइवेट लाइफ में सेक्स करने का क्या कोई अधिकार नहीं ? बावजूद इसके मीडिया ने इस वीडियो को चैनल की सुर्खियां बना डाला, जो मीडिया और समाज की ओछी मानसिकता को दर्शाता है. उन्होंने लेख में कहा है कि सेक्स मनुष्य के जीवन कि एक मुलभुत आवश्यकता है. जिस तरह से मनुष्य को खाना, पानी की जरुरत पड़ती है ठीक उसी तरह जीवन में सेक्स भी जरुरी है. उन्होंने कहा है की सेक्स को भारत में सामान्यतौर पर पत्नी के अलावा दूसरे के साथ करने पर गंदी नजर से देखा जाता है, लेकिन पश्चिमी देशों में 1960 में सेक्स की क्रांति आयी. यह वह दौर है जब भारतीय सिनेमा में भी चुंबन का द्रश्य दो फूलों को चूमते हुए सांकेतिक तौर सेक्स दिखाया जाता था.
सेक्स को लेकर भारतीय नेताओ का उदहारण
आशुतोष ने लिखा है की अब भारत बदल गया है. यहाँ भी चुंबन खुलेआम लिए जा रहे हैं. उन्होंने अपने लेख में यह भी लिखा है की भारत में भी सेक्स को लेकर नेताओं के निजी लम्हें कभी नहीं उठाये जाते. उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी दोस्त जसाय गॉसिप और राष्ट्रपिता महात्मा की सरला चौधरी से दोस्ती के चर्चों को कौन नहीं जनता. जगजाहिर थे, यहाँ तक महात्मा गाँधी ने तो उन्हें अपनी पत्नी तक बता दी थी, जिसको लेकर उनकी पत्नी कस्तूरबा गाँधी से कहासुनी हो गयी थी, जिसको सुलझाने के लिए राज गोपाल चार्य को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था. इसी तरह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी यह कहा था की वह अविवाहित है, पर ब्रह्मचारी नहीं.