नई दिल्ली : दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बाद अब आम आदमी सेना उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार की पोल स्टिंग ऑपरेशन कर खोलेगी. जिसके चलते सेना के सेनानायक और उनकी फ़ौज देहरादून में डेरा जमा चुकी है. बताया जाता है कि सेना अगले विधानसभा चुनाव में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी और उत्तराखंड के चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आज़माने का फैसला कर चुकी है. इसके चलते सेना इन राज्यों में अपने पैर जमाने की अभी से कोशिश कर रही है.
आम आदमी सेना ने डाला डेरा
सूत्रों के मुताबिक आम आदमी सेना ने गुरुवार को देहरादून में अपना कार्यालय भी खोल दिया है. सेना के जानकारों की मानें तो आम आदमी सेना ने देश के राज्यों में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए ही वहां की सरकारों के खिलाफ स्टिंग आपरेशन की मुहिम छेड़ी है. सेना के एक पदाधिकारी की मानें तो उनकी लड़ाई किसी भी नेता से ना होकर उनकी सरकार में व्याप्त भ्र्ष्टाचार को लेकर है. इसी के चलते उत्तराखंड सरकार की पोल खोलने के लिए यहाँ अब डेरा जमाया गया है. बताया जाता है कि आम आदमी सेना का गठन इसी उद्देश्य को लेकर किया गया है. इससे पहले सेना के पदाधिकारी अन्ना हजारे द्वारा शुरू किये गए आंदोलन में आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल के साथ भी रहे है.
सेना के पदाधिकारियों ने क्यों छोड़ा 'आप' का साथ ?
लेकिन उनके बीच दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनने के बाद इस बात को लेकर मतभेद फ़ैल गया की जिस उद्देश्य को लेकर वह लोग केजरीवाल के साथ जुड़े थे. दिल्ली में 'आप' की सरकार बनने के बाद और सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद केजरीवाल उस उद्देश्य को ही भूल गए. जिसके चलते सेना के पदाधिकारियों ने 'आप' पार्टी को छोड़कर अपना एक नया संगठन 'आम आदमी सेना' के नाम से तैयार कर लिया. और सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सबसे पहले 'आप' सरकार की चल रही धंधेबाजी को एक स्टिंग आपरेशन के जरिये उजागर किया. मालूम हो कि आम आदमी सेना के ही स्टिंग आपरेशन के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने परिवहन मंत्री गोपाल राय की मंत्री पद से छुट्टी कर दी थी.
क्या बोले- सेना अध्यक्ष ?
इस बाबत 'इंडिया संवाद' से एक बातचीत में आम आदमी सेना के अध्यक्ष प्रभात कुमार ने बताया कि उनकी लड़ाई किसी से जातिरूप से नहीं बल्कि सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार से है. इसीलिए जब अन्ना हजारे ने यूपीए सरकार के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया तो वे लोग केजरीवाल के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर अन्ना के आंदोलन में शामिल रहे. और यही नहीं केजरीवाल का भी उन्होंने सरकार बनने तक पूर्णरूप से साथ निभाया. लेकिन जब केजरीवाल सीएम बने तो उनका बदल हुआ रूप देखकर वह भौचक्के रह गए. जिसके बाद उनसे दूरियां बढ़ गयीं. बताया जाता है कि सरकार की छवि को लेकर ही केजरीवाल से उनका मनमुटाव बढ़ गया और उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया. फिलहाल दिल्ली की केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलने के बाद उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार में व्यापत भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए अब सेना सरकार का जल्दी ही कोई बड़ा घोटाला स्टिंग आपरेशन के जरिये खोलेगी.