देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड के पूर्व सीएम हरीश रावत के हाथ से सीएम की कुर्सी जाते ही उनको एक अदद घर के लाले पड़ गए। एक वक़्त जिनके लिए उत्तराखण्ड में लोग चौबीसों घण्टे अपने दरवाजे खुला रखते थे आज उन्हें अपने ही राज्य में किराये का मकान नहीं मिल रहा है। उत्तराखण्ड में अब तक पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले व गाड़ी देने का चलन था, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट ने इस पर पाबंदी लगा दी। जिसका सबसे ज्यादा नुकसान हरीश रावत को हुआ है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रावत को राजधानी देहरादून में कोई किराए पर अपना मकान देने तक को तैयार नही हैं।
दरअसल, नियमों के मुताबिक़ पूर्व सीएम हरीश रावत को पद से हटने के बाद 15 दिन में सरकारी आवास खाली कर देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने जितने भी घर में अपना डेरा डालना सोचा मकान मालिक ने एक बार में ही मना कर दिया। हरीश रावत ने कहा है कि वो काफी समय से शहर में किराए पर मकान ढूंढ रहे थे, लेकिन कोई भी उनको किराए पर मकान देने के लिए राजी तक नहीं हो रहा था। वह इस बात से चिंतिंत थे कि ऐसा क्यों हो रहा है। लेकिव अब रावत ने शहर से अलग एक मकान देखा और अब उन्हें अपना नया आशियाना मिल गया है। हरीश रावत अब मसूरी की तलहटी में एक कमरा किराए पर मिल गया है और अब वो वही कुछ दिन रहने का विचार बनाया है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा है कि अभी फिलहाल वो कुछ समय शांति में बिताना चाहते हैं जिसके लिए वो अपने गांव अल्मोड़ा के मनोहारी में रह कर आराम करना चाहते हैं। हरीश रावत का कहना है कि वो चुनावों के बाद से ही अपने लिए बीजपुर के बाद देहरादून में एक मकान खोज रहे थे पहले तो उन्हें मकान नहीं मिल रहा था लेकिन अब उन्हें अपना नया ठिकाना मिल गया है। हरीश रावत अभी सरकारी आवास बीजापुर में रह रहे हैं। दो या तीन दिन में वो यह से चले जायेंगे। जिस रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए बीजपुर में लोगों का जमावड़ा लगा रहता था। लेकिन आज उनके घर पर पूरी तरह से ख़ामोशी छाई हुई है।