नई दिल्लीः राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने चार सजायाफ्ताओं की दया याचिका मंजूर करते हुए फांसी की सजा माफ कर दी है। अब अपराधी सिर्फ उम्रकैद की सजा काटेंगे। राष्ट्रपति ने यह फैसला मामले में विभिन्न तथ्यों पर विचार करने के बाद लिया। जिसमें राज्य सरकार द्वारा चारों दोषियों की दया याचिका को सौंपने में विलंब करना और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के विचार शामिल थे। जिनकी सजा माफ हुई है वे बिहार में 1992 में अगड़ी जाति के 34 लोगों की हत्या के दोषी थे। गृहमंत्रालय ने सजा माफ किए जाने का विरोध किया था गृह मंत्रालय ने बिहार सरकार की सिफारिश पर आठ अगस्त 2016 को चारों की दया याचिका को खारिज करने की अनुशंसा की थी.
क्या है मामला
माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) द्वारा 1992 में 35 भूमिहारों का नरसंहार किया गया था। वर्ष 2001 में एक सत्र न्यायालय ने चारों को कृष्णा मोची, नन्हे लाल मोची, वीर कुंवर पासवान और धर्मेन्द्र सिंह उर्फ धारू सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी। उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल 2002 को बहुमत के फैसले से उनकी मौत की सजा की पुष्टि की, जहां न्यायमूर्ति एमबी शाह इस सजा के विरोध में थे.जिसके बाद चारों ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगाई थी। राष्ट्रपति ने नववर्ष पर की फांसी की सजा को आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया.