आतिश हूं फकत तस्कीन-ए-सफर,तस्वीर ए मुहब्बत .........रखता हूं।मैं उसको नज़र ........में रखता हूं।।...मैं उसको................................✓आया जो ............चमन में बेपर्दा,कलियों की हसी.... खो सकत
ऐ हक़ीक़त तेरे............ अंदाज़ पे रोना कैसा,ये फिसलते हुए-कल ....आज़ पे रोना कैसा।।ऐ हक़ीक़त तेरे.....................................उम्र-ए-रफ्ता से न जाए जो....गमों का मौसम,फिर किसी गर्दिश-ए-आगाज
वो रो दिया था मुझसे...कल बात करते करते,कुछ भी न कहने पाया ..अंजाम करते करते।वो रो दिया...........................करते करते*जिंदा ही कब थे उसके....जज्बात बेहतरी के,वो थक गया था बेशक असफ़ार करते करते।वो
वो दरिया-आे-दिल याद बेशक रखेंगे,जो अहद-ए-वफा में वो बरसात होगी।वो दरिया-आे-दिल ....................✓कोई चश्मेवर .........नाज़ बेशक करेंगे,जो आब-ए-आइना.. में वो ज़ात होगी।वो दरिया-आे-दिल ..............
हमने कुछ पायातो क्या पाया,अजी खोया बहुत, हो के बेकश दिल मेरा तन्हाई में,.....रोया बहुत।हमने कुछ पाया तो.....................…...........मैं मजे में हूं ........यही दुनियां को बतलाता रहा, यूं
ऐ दिल येतो बता इस दिल को समझाने कहां जाएं, कोई सुनता नहीं तो दिल के .अफसाने कहां जाएं।ऐ दिल....................................................बनाया जिनको था रहबर वो चोरों के सखी निकले, मगर
मन के आंगन सजी गम की बारात हैं।सोया सोया सनम .....सोई सी रात है। मन के आंगन............................✓सुबह होते ही सब .....छूट जाने को है, कोई सपना है फिर ....टूट जाने को है।रोक दे वक्त को
गम आशना है, शाम है, मय और जाम है। ऐसे में हम नहीं, ना सही, लव से काम है।गम आशना है..................................तोहमत हयात ए बज़्म,सितम, मेरे नाम है। फिर है मेरे करीब क
मेरी नाकामियां .....जख्में ज़िगर भरने नहीं देती, शिकस्ता पैरहन की ..धज्जियां करने नहीं देती।मेरी नाकामियां....…..................................मेरे मुंह से निवाला छीन कर ..अच्छा है वो कैसे?&nbs
जब दर्द को खुशी की जरूरत नहीं रहती, जरूरत नहीं रहती। सांसो पे जिंदगी की हुकूमत नहीं रहती, हुकूमत नहीं रहती।।....वो ताजदार-ए-वक्त चला लेके सलामी
आज कुछ दिल उदास है,....के नहीं?तुम ही बोलो ये बात है,.......के नहीं?आज फिर दिल..........................तुम खफा भी नहीं हो,....चुप भी हो?दिल में कुछ इख्तिलाफ है,...के नहीं?आज फिर दिल..................
क्या कहा? आज!....नहीं बोलोगे।मन का घूंघट....अभी न खोलोगे।।... डर गए आज क्या? ....मेरी तौबा। कल को फिर क्या.हिसाब ले लो
हुआ तो कुछ भी नहीं बस कोई खुशी ना रही। वो कैसी आंख थी सब देख कर दुखी ना रही।हुआ तो कुछ भी नहीं.............................तो क्या हुआ जो ज़िया ..जाती रही आंखों से।ज़ख्म -ए -दिल देखने की कोई बेबस
जानलेवा निगाह ..........की सी है।जिंदगी इक ........गुनाह की सी है।जानलेवा...............................मांगने पर ये .........कुछ नहीं देती।बे वजह इक ......सलाह की सी है।जानलेवा.......................
वो देखो चांद....क्यों शरमा रहा है, घटा में चुपके तन ...सरका रहा है।वो देखो चांद......................... मेरे महबूब के ....आरिज़ पे आके, शरम से आंख क्यों झपका रहा है। वो देखो चांद.
बेख़ौफ़ जमाना... है शायद, या फिर ये. सिर्फ़ कहानी है।खुद दर्द के ..पीछे भाग रही,दुनियां कितनी ...दीवानी है। बेख़ौफ़... भाई को लड़ा कर ...भाई से, &nb
हम एक तमाशा हैं.......खुद में, अज्ञान का ......सुर्ख परिंदा हैं। इतना एहसान.....करो हम पर, बस आज अभी ....जी लेने दो, हम तो खुद से........शर्मिंदा हैं। &n
1***खुदाया उफ़ ये क्या कारीगरी है?गुलों में रंगत-ओ-फितनागरी है।संग.वर.साज़ हैं शीशे के बुत सब,मेरे मालिक ये क्या. शीशागरी है। वो जो अपने ही..शानो पे हैं भारी,&n
1***कहीं है सब, कहीं कम कम का गम है,ये दुनियां कितनी छोटी कितनी कम है।जहां कहते हैं ..........रश बढ़ने लगा है,वहां ज्यादा है मैं,......कम है तो हम है।यहां हर आदमी,..........कब आदमी है,मगर जो है उसे...
क़ातिलाना अदा है........ तो है,मौत आना दवा है ........तो है।ना मुक़म्मल ग़ज़ल.....ही सही,ख़त का आना कज़ा है ..तो है।शाने हक़ बारहा ........यूँ सही,सच व आला ख़ुदा है.....तो है।घर है वीरां तो क्या .....इश्क़ है,