फूलों से हसीं..कलियों से जबां, कुछ भी तो नहीं,....दीवाना है।अफ़वाह!हकीकत भी तो नहीं,बस सिर्फ....हंसी अफसाना है।। जिसे लोग....मोहब्बत कहते हैं,है एक जरूरत, कुछ तो नहीं।इंसान भटकता है...
इस तरह जिंदगी से, ...छले जा रहे हैं लोग, जीने की आरजू में,.....ढले जा रहे हैं लोग।नज़दीकियों के खौफ से हैं..पस्त इस कदर, खुद, खुद से दूर-दूर....चले जा रहे हैं लोग।माना कि सर हुजूर हुई..हर शि
ऐ मेरे दर्द! ज़रा और!.....अभी जिंदा हूं!है कहां ठौर! ज़रा और! अभी जिंदा हूं।। उसकी नजरों का जहर, दिल पे उतर....आया है, मुझ में मैं कब हूं...यहां, सिर्फ मेरा.......साया है।हां मैं उ
साथ सफ़र में थी तो चुकी क्यों?उन से दो-दो हाथ.......हुई क्या?साथ सफ़र में......................तन्हा तन्हा...........तन्हाई क्यों?महफ़िल मन के..साथ हुई क्या?साथ सफ़र में......................सूरज सहमा
उलझे-उलझे .....हयात के लम्हें, दौड़े आते हैं........छू के जाते हैं; बारहा कुछ.......लम्हों के पैमाने, तिश्ना लव छू के.....टूटे जाते हैं।।है तिजारत या..........रंगदारी है?ख्वाब कसरत से..
चांदनी क्यों.... हमें चिढ़ाती है? आह! क्यों वाज़ नहीं आती है? जिंदगी ..पांव घिस रही है यहां, चांद की रेल ...गुजरी जाती है।चांदनी क्यों.....हमें चिढ़ाती है?......ख्वाब में एक..हसीं सितार
मेरा दर्दे दिल.....गर.... पिया हो तो जानो,जिया खो के..गर..गम जिया हो तो जानो।मेरा दर्दे दिल.....गरवो चश्मा लहू का.........पिघलता नजर से, जिगर की सतह पर.....लिया हो तो जानो।मेरा दर्दे दिल.....गरहो
उफ!........बड़ी भीड़ है सपनो की, मगर तन्हाई,दिल-ए-वीरान सा अंजाना......शहर ढूंढ रही है।।उसको क्या चाहिए आखिर के जुबां मिल जाए?याद, भटकी हुई कश्ती है.......लहर ढूंढ रही है।।वो जो मालिक है,जहां भर का,और