लखनऊ: आयकर ने जैसे ही दिवाकर सिंह के घर पर छापा मारा तो हर कोई दंग रह गया, फ़ेहरिस्त देखिये ऑडी क्यू सेवन, रेंज रोवर, बेशक़ीमती महलनुमा मकान और साथ ही करोड़ों की संपत्तियां, जी ज़िक्र किसी शाही परिवार का नहीं बल्कि उम्र के केवल तीन दशक को जीने वाले शख्स दिवाकर सिंह का हो रहा है। आयकर की छापेमारी के बाद सुर्ख़ियों में आया बस्ती का मूल निवासी दिवाकर आखिर रंक से राजा बना कैसे। जबकि इसके पिता फार्मासिस्ट हैं। खुद को दवा कारोबारी कहने वाला ये शख्स अब यूपी के सेहत महकमे में फैले दलालराज का नया चेहरा है। दूसरे मायनों में कहे तो स्वास्थ्य विभाग के घोषित दलाल गिरीश मलिक, मनीष मेहरोत्रा और महेंद्र पांडेय से भी दिवाकर दो कदम आगे निकल चुका है। महज़ कुछ ही सालों में स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अफ़सरों से साठगांठ करके इस दलाल ने न सिर्फ करोड़ों की अकूत संपत्ति अर्जित कर डाली बल्कि ज़िलों में अपने चहेते सीएमओ की तैनाती भी करवा दी।
सूत्रों कि मानें तो दिवाकर सिंह का साम्राज्य क़रीब पांच साल पहले सपा सरकार आने के बाद बेहद तेज़ी से आगे बढ़ा। कुछ साल पहले तक दिवाकर के पास मकान का किराया तक देने के पैसे नहीं थे। दिवाकर सिंह को बाल कृष्ण अग्रवाल उर्फ़ मक्खन सेठ की फैक्ट्री का उत्पाद माना जाता है मक्खन सेठ भले आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन एनआरएचएम घोटाले और स्वास्थ्य विभाग के ठेकों में मक्खन सेठ की तूती बोलती थी दिवाकर ने कारोबार के गुर यही से सीखे। इस शखस का कारोबार ओसीआर के पीछे मुरलीनगर से चलता था। दिवाकर के कई अफसरों और नेताओं से बेहद करीबी सम्बन्ध इस दौरान बन गए। सिर्फ यही नहीं स्वास्थ्य मंत्री शिवाकांत ओझा तो दिवाकर की जेब में बताये जाते हैं।
दिवाकर के रसूख़ का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि, जब हाल में तीन जनवरी को प्रदेश में 21 जिलों में नए सीएमओ तैनात हुए हैं। जिनमे आधे सीएमओ तो खुद दिवाकर की सिफारिश पर तैनात हुए। रायबरेली सीएमओ डीके सिंह को भी दिवाकर ने इसलिए तैनाती दिलवाई क्योंकि ये इसके करीबी या रिश्तेदार बताये जाते हैं। रायबरेली सीडीओ हरिराम सिंह तो इसके ससुर पहले से हैं। दिवाकर ने अपनी पत्नी के नाम से गुंजन इंटरप्राइजेस नामक फर्म बनकर स्वास्थ्य विभाग से करोड़ों के ठेके बीते चार वर्ष के दौरान लिए हैं। स्वास्थ्य विभाग में दलालराज के हीरो महेंद्र पांडेय और मनीष मेहरोत्रा से दिवाकर के बेहद करीबी सम्बन्ध हैं और अपने महलनुमा घर पर अक्सर दरबार भी लगाता है। दिवाकर के काम करने की शैली भी निराली है ये सीधे दर अनुबन्ध के चिकित्सीय सामानों पर नजर नहीं डालता है। सिर्फ बिना कोटेशन के सामान ही अपनी फर्म के लिए लेता है।
आखिर दिवाकर के पास करोड़ों की मिल्कियत कहाँ से आयी और स्वास्थ्य विभाग में इसका सिक्का कैसे चला। इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के वित्त विभाग में तैनात रहे सबसे चर्चित बाबू सुदर्शन का सबसे अहम् योगदान है। ये कोई साधारण बाबूनहीं है बल्कि आजमगढ़ के एक मंत्री का बेहद करीबी सुदर्शन विभाग के सबसे अमीर बाबुओं में शुमार है। इसकी हैसियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि निदेशालय का वित्त नियंत्रक कोई भी हो लेकिन तैनाती सिर्फ सुदर्शन ही कराता है दिवाकर को सुदर्शन ने बेहिसाब न सिर्फ लाभ पहुँचाया बल्कि सूत्रों के मुताबिक पार्टनर तक बन गया। बेहद भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक सुदर्शन ने फंड संख्या 40 , 42 , 12 , 26 सिर्फ दिवाकर के लिए निकाल कर कुर्बान कर दिया। सुदर्शन ने दवा के दलालों के लिए वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में अरबों का फंड पहले भी रिलीज़ कराया है। जिससे औनेपौने बेहिसाब खरीददारी की गयी थी। हालांकि दवा के एक और कारोबारी का कहना है कि दिवाकर काग़ज़ के मामले में बेहद मजबूती रहता है और बेहद व्यवहार कुशल भी है।
NRHM घोटाले में भी दिवाकर सिंह की गहन छानबीन होनी चाहिए। दलाल गिरीश मलिक के लिए भी सुदर्शन ने करोड़ों रूपए महकमे के लुटाएं हैं खासतौर पर रमा सिंह के महानिदेशक रहते गिरीश को बेहिसाब मुनाफा पहुँचाया है। गुंजन इंटरप्राइजेस को कई जिलों में करोड़ों के ठेकों से नवाज़ा गया है। पंचम तल तक दिवाकर सिंह की गहरी पैठ है तभी ये दलाल फर्श से आज अर्श तक पर पहुँच गया है। रायबरेली में ही जांच हो जाए तो दिवाकर सिंह का तगड़ा सिंडिकेट सामने आ जायेगा। बस्ती निवासी दिवाकर सिंह के बेहद कस्रीबी सम्बन्ध पूर्व मंत्री राज किशोर सिंह से भी हैं। विभाग के सूत्रों के मुताबिक दिवाकर सिंह को मिले ठेकों की गहराई से जांच हो तो करीब सौ करोड़ का आंकड़ा भी पार हो सकता है। सिर्फ ऑडिट ही हो जाए तो अरबों का घोटाला बेनक़ाब हो जाएगा। दिवाकर सिंह के लिए स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने जमकर फर्जी टेंडरों का खेल खेला है। लेकिन सेहत महकमे में ऐसे ही दलालों के अच्छे दिन शुरू से रहे हैं रायबरेली के एनआरएचएम घोटाले में दिवाकर सिंह की अहम् भूमिका है लेकिन सीबीआई जिस तरह से दलाल गिरीश मलिक और मनीष मेहरोत्रा पर मेहरबान रही थी उसी तरह दिवाकर सिंह के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा कसेगा ये कहना अभी मुश्किल है। अगर दिवाकर सिंह की संपत्तियों की जांच ठीक से की गई तो कई अफसरों और नेताओं समेत स्वास्थ्य महकमे के लोग बेनक़ाब हो जाएंगे।