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अभी की बात

27 जनवरी 2015

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थोड़ा कठिन है कांग्रेस के लिए ये स्वीकार करना कि सोनिया गांधी के १० जनपथ के अंदरुनी सिस्टम , भाषणों के रचनाकार राजगुरु और पार्टी लाइन या विचारधारा की कट्टर वकालत करने वाले जनार्दन दिवेदी ने किसी इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी को भारतीयता का सम्पूर्ण सिम्बल कहा ! इस बात को दिग्विजय सिंह कहते तो मैं ये मानता की वो अपनी मानसिक असन्तुलनता की वजह से कह रहे है पर जनार्दन दिवेदी इस भीड़ से अलग है , वो कांग्रेस में माखनलाल फोतेदार कमलापति त्रिपाठी और इंदिरा के मित्र सिद्धार्थ शंकर रे के कद के व्यक्ति हैं उनके शब्दों में ये प्रशंसा उनके स्वयं के राजनैतिक या ये कहें की कांग्रेस में उनकी मृत्यु का कारक बनेगी ! कभी जीतन राम मांझी कभी दिवेदी कभी शशि थरूर इन सब के मीठे बोलों के पीछे गहरे राजनैतिक कारण हैं, और तो और राजनैतिक अराजकतावादी केजरीवाल भी ये मान चुके कि मोदी जी आप देश सम्भालो दिल्ली हम पर छोड़ दो कारण यही है की ये लोग अपनी पार्टियों मेंये या तो भविष्य या विचारधारा को लेकर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे ! और दूसरा सबसे बड़ा कारण भारतीय न्यायप्रणाली में लोकतंत्र का शनै शनै परिपक्व और मजबूत होना है , ये बात बाद में सब से पहले मोदी का बढ़ता कद ! कुछ मोदी का सौभाग्य से और कुछ भारत का भाग्य ! अर्थवव्यस्था का अगले कुछ वर्षों तक ऊंचाई पर जाना तय हो गया है , सकल घरेलू उत्पादन यानि जी डी पी का रुख ऊपर की तरफ रहेगा 10 प्रतिशत को छू सकती है ये किसी भी अथवयवस्था के लिए ये जादुई आंकड़ा है ! कई अंतराष्ट्रीय संस्थाओ ने भारत के चीन से आगे निकलने की भविषयवाणी भी कर दी है , और भारत की जनता के मन से ये बात अब कभी नहीं निकलेगी की इन सब शुभ कारणों के कारक मोदी हैं , यानि किसी समय दिए गए नारे इंदिरा इस इंडिया एंड इंडिया इस इंदिरा के मोदी फाईड होने का समय आ गया , बराक ओबामा से बढ़ती निकटता जापान को पास लाना भारत में विदेशी आर्थिक निवेश चौगुना होने के संकेत हैं श्रेय न चाहते हुए भी मोदी को ही मिलेगा !इन सब बातों का फायदा भाजपा को मिलेगा , पर सावधानी की जरुरत बहुत बढ़ जाएगी ! अब हर दलाल गुंडा और राजनैतिक दुकानदार इस का झंडा पाना चाहेगा , पर पार्टी को अपने बुरे दिनों को याद रखते हुए इन्हे दूर रखना चाहिए क्योंकि साख बिगड़ने का काम यही करेंगे ! वैसे मेरे एक मित्र ने अभी बताया था की भाजपा अब किसी दूसरे दल के नेता या कार्यकर्ता को पार्टी में नहीं ले रही ये शुभ संकेत है , वार्ना विचारधारा के दूषित होना तय होता है , क्योंकि ये लोग भीड़ होते हैं जो मौके का फायदा उठाना जानते हैं बस , ये वो होते हैं जिनका मानना है गोदाम में पड़ा अनाज लूट कर बाँट देना चाहिए ,तब ये लोकतंत्र भूल जाते हैं जो की दुनिया में हम सब से बड़े हैं पर हमारा स्वाभाव कदापि लोकतान्त्रिक नहीं है , हम बहुत जल्दी भावनाओं में बहते हैं , लोकतंत्र को अमेरिका से सीखना चाहिए मैंने इराक और अफगानिस्तान में वीरता के साथ लड़े अमेरिकी सैनिकों को अपने क्रेडिट कार्ड के बिल और बैंको के ऋण न चुकाने की वजह से जेल जाते देखा है ! भारत में झट इसे वीरता का अपमान माना जायेगा पर वो इसे लोकतंत्र मानते हैं और है भी , आप अपने क्षेत्र में पारंगत या विशेष है या आपने उल्लेखनीय देशसेवा की है तो आप समाज और न्याय को तोड़ने के अधिकारी तो नहीं ही हो गए ! भारत के मानसिक लोकतंत्र से ये भाव गायब है , इसे स्थापित करना होगा तभी हमारा देश महान बनेगा , क्योंकि कोई भी देश महान उसके नागरिकों से उनके अनुशासन से बनता है ! प्रधानमंत्री अच्छा है उसका साथ दें , नतीजे जल्दी ही सामने आएंगे
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अभी की बात

27 जनवरी 2015
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थोड़ा कठिन है कांग्रेस के लिए ये स्वीकार करना कि सोनिया गांधी के १० जनपथ के अंदरुनी सिस्टम , भाषणों के रचनाकार राजगुरु और पार्टी लाइन या विचारधारा की कट्टर वकालत करने वाले जनार्दन दिवेदी ने किसी इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी को भारतीयता का सम्पूर्ण सिम्बल कहा ! इस बात को दिग्विजय सिंह कहते तो मैं ये मानत

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अराजक केजरीवाल !!!

27 जनवरी 2015
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मेरे एक मित्र ने टिप्पणी की शायद किरण बेदी ये सोचती हैं की केजरीवाल से बहस सिवाय तमाशे के कुछ नहीं होगी शायद इससे लोकतंत्र को अधिक मजबूती मिलती !अरविंद केजरीवाल ईमानदार नागरिक हैं इसमें कोई शक नहीं , पर अगर आप उनके इतिहास पर निगाह डालें तो उनकी ईमानदारी समय के साथ नकली होती चली गयी सी लगती हैं , उनक

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दिशाहीन समाज !!

27 जनवरी 2015
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मेरी हर दूसरे दिन किसी भारतीय पर्टयक से बहस होती है , अंत या तो कुतर्क से होता है या चुप्पी से , बात राजनीती से शुरू होती है और ख़त्म होती है समाज पर आ कर ! अब मोदी आ गया है सुधार तो पक्का होगा जी !!!! मैं पूछता हूँ ,कैसे साहब ? रिशवत तो आप और मैं लेते और देते हैं , यातायात के नियम हम तोड़ते हैं मोदी

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गांधी

31 जनवरी 2015
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0 जनवरी - स्वर्गीय मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या की वर्षगांठ पर , मुझे लगता है की मेरे बचपन से अब तक जो उलझने थीं और स्वर्गीय गांधी से मेरे प्रश्न थे , कागज़ पर उतारने के लिए ये एक अच्छा दिन है !!!!!! मुझे विश्वास है की आधुनिक भारत के कथित रूप से सर्वमान्य , प्रभावशाली और अहिंसक मानव होने के बावजूद आ

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