अहमदाबाद : देश के अधिकतर राज्यों में जहाँ इंटलीजेंस ब्यूरो (IB) में जाना स्टेटस सिंबल माना जाता है वहीँ गुजरात में पुलिस अधिकारी आईबी में जाने को सजा के तौर पर देख रहे हैं। गुजरात में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) इशरत जहाँ एनकाउंटर से लेकर अन्य मामलों में विवादों में रही वहीँ 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' की एक खबर की माने तो गुजरात पुलिस में काम करने वाले अधिकारियों का मानना है कि ज्यादातर पुलिस अधिकारी आईबी में काम करने को तैयार नहीं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार हालही में जब 175 पुलिस अधिकारियों को प्रोन्नत किया गया तो उनमे से 17 को आईबी में भेजा गया। आईबी में भेजे गए इन अधिकारियों को आश्चर्य है कि उन्हें क्यों आईबी में क्यों भेजा गया। खबरों की माने तो कई अधिकारी तो जिम्मेदारी के लिए तैयार हो गए लेकिन ज्यादातर अधिकारी इसको लेकर निराश हैं।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि सजा के तौर पर पुलिस अधिकारियों को आईबी में भेजा जाता है। कई अधिकारियों का कहना है कि गुजरात में आईबी में जाने का मतलब है सत्ताधारी पार्टी के लिए काम करना।
इशरत जहाँ मामले में उस वक़्त आईबी के तत्कालीन डायरेक्टर राजेन्द्र कुमार पर आरोप लगे कि उन्होंने राज्य पुलिस के साथ मिलकर फर्जी मुठभेड़ की। हालाँकि आतंकी हेडली की गवाही के बाद राजेंद्र कुमार का कहना था कि उन्हें फंसाने की कोशिश के गई थी। इशरत जहाँ एनकाउंटर को जब सीबीआई ने फर्जी बताया था उसके बाद कई आईबी अधिकारियों से भी पूछताछ हुई थी।