नई दिल्ली : किसानों कि करोड़ों की जमीन कौड़ियों के मोल खरीदने वाले कांग्रेस सरकर के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके चहेतों पर अब सीबीआई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. जिसके चलते सीबीआई ने शनिवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा और यूपीएससी के एक वर्तमान सदस्य के आवास समेत 18 स्थानों पर एक साथ छपेमारी कर तलाशी ली है. यह मामला गुड़गांव में भूमि के अधिग्रहण में कथित अनियमितता का है, जिसमें किसानों को 1,500 करोड़ रुपए की चपत लगाई गई है।
हुड्डा के साथ उनके दो चहेते IAS के घरों की भी तलाशी
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक एजेंसी के एक दल ने हुड्डा के आवास के साथ ही दो पूर्व आईएएस अधिकारियों तत्कालीन प्रधान सचिव एम एल तयाल और यूपीएसएसी के सदस्य छत्तर सिंह के अलावा वर्तमान आईएएस अधिकारी एसएस ढिल्लन के परिसर की भी तलाशी ली है. सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौर ने बताया, ‘गुड़गांव में किसानों से जमीन की खरीदारी में कथित अनियमितता के मामले में जारी जांच के तहत सीबीआई ने रोहतक, गुड़गांव, पंचकूला और दिल्ली में 20 स्थानों पर छापेमारी की.’
सितंबर में दर्ज किया गया था मामला
एजेंसी ने इस मामले में पिछले साल सितंबर में मामला दर्ज किया था. आरोप है कि 27 अगस्त 2004 से 24 अगस्त 2007 के बीच निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के अज्ञात अधिकारियों की मिलीभगत से मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और अन्य भूस्वामियों से लगभग 400 एकड़ जमीन बेहद कम दाम में खरीदी. इसके लिए उन्हें सरकारी अधिग्रहण का डर दिखाया गया था.
डर बनाकर चहेते बिल्डरों को दिलाई जमीन
आरोप है कि इस प्रक्रिया में पहले तो हरियाणा सरकार ने गुड़गांव जिले के गांव मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में औद्योगिक मॉडल टाउनशिप की स्थापना के लिए 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिसूचना जारी की थी. लेकिन बाद में निजी बिल्डरों ने भूस्वामियों को सरकार द्वारा सस्ती दर पर अधिग्रहण का डर दिखाकर कथित तौर पर उनसे जमीन हथिया ली.
जमीन को लेने के लिए अधिग्रहण नहीं किया गया
आरोप है कि सक्षम प्राधिकरण यानि उद्योग निदेशालय ने 24 अगस्त, 2007 को इस भूमि को अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर कर दिया. आरोप है कि भूमि को अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर करना सरकारी नीति का उल्लंघन है और यह कदम वास्तविक भूमालिकों के बजाए बिल्डरों, उनकी कंपनियों और एजेंटों के पक्ष में है.
CBI ने अपनी FIR में क्या कहा ?
सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि इस तरह लगभग 400 एकड़ भूमि जिसकी बाजार में उस वक्त कीमत प्रति एकड़ चार करोड़ रुपए से अधिक थी. इस तरह, कुल मिलाकर इसकी कीमत लगभग 1,600 करोड़ रुपए थी उसे निजी बिल्डरों और अन्य लोगों ने भोलेभाले भूमालिकों से कथित तौर पर महज 100 करोड़ रुपए में खरीद लिया. इसमें आरोप लगाया गया है कि इस तरह गुड़गांव के गांव मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के भूमालिकों को 1,500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है.