4 फरवरी 2022
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हम तो क़ायल हैं लगातार तुम्हें देखने के, इश्क़ होता है तो हो जाये हमें उससे क्या।D
मैं इक आईना हूंकैसे मुकर जाऊं.देखूं तुम्हें फिरमै भी संवर जाऊंइक सहरा प्यासा है कब सेकोई दलदल है डूब जाऊं की निकल जाऊंकहाँ ख्वाब मुकम्मल है यहाँकिसी पल का कोई मंजर बन जाऊंफुर्सत से पढ़ना मेरे माशूक
मुमकिन है की मै समझाने से समझ जाऊंकोई आईना हूं, जी करता है तुझ में उतर जाउं.. इक अरसे से बन्द है मेरे घर मे इक कोठरीअंधेरा है धुंआ है बोलो किधर जाउं.. राह तलाशी है बन्द आँखों से कोईइक तरफ
क्या रिश्ता मेरा दरिया से मै तो सूखा जंगल हूं उठती होंगी लहरे उसमे मै तो कब से स्थिर हूं कहाँ तलब है की मै दरिया की मौज बनूँ मै हूँ पागल सहरा सूखा शजर पुराना ह
अन्दर आसुओं का इक सैलाब बह जाता हैजब कोई आंसूं आँखों के अंदर रह जाता है.. भटकते रहे दूर सहराओं मे रात भरइक मेरा मुकद्दर है की उसे घर का पता नहीं आता है... कब बदला है चांद दरिया के इशारे प
सिमट के तडपू खुद मेया खुद मे सिहर जाऊंअश्क बन कर बूंद मेक्या दूर कहीं बरस जाऊँइन्तहा लूँ ख्वाहिश की या मौत बन जाऊँ कैसे खुद मे टूटू तुम मे कैसे मिल जाऊँ ओझल हो जाऊं ख्वाब सेकी तेरा
सुर्ख हुई आंखेकितना आजीब सा बहकापनयूँ खुले से होंठऔर लिबास मे छिपने को मनआज खो से गये वो रिश्तेजिनको पकड़ने दौड़े थेतुम और हममिलों पैदल चलाफिर भी वही अभी सूनापनप्यासी हो जब सांसेतो कहाँ इश्कऔर कहां द
डूबा के सारी किश्तीजरूरत थी इक चेहरा नया छिपाने कीबंद नकाब के चेहरों सेइक पल मे रूबरू हो जाने कीसहम सी जाए रूह उसकीजब मैं मांगू दुआ खुद सेबस आखिरी मिन्नत हैफिर से उस तक जाने कीवो बेवफ़ा हो के बिछड़े ह
मै तेरे जाने के बाद किससे मोहब्बत करतातू शख्स था आखिरी जिसे मैं रब कहतामेरी उदासी भी तुम्हें देख रंगीन हो जाती थीअब मैं इन अंधेरों की खामोशी से क्या कहताहर सवाल तुझ पर आके खत्म हो जाते थेअब आँखों से इ
ये कैसा सितम है किसी चेहरे से आईना बेख़बर है इक उम्र दहलीज पर रुकी है इक जहर है जिसमें असर कम है अक्सर छू लेते हैं दिल को उसके खामोश चेहरे उसकी नीयत मे फरेब हर तरफ है&n
मुझे तुम्हारे सिवा कहाँ कुछ आता हैबिना तुम्हारे कहाँ ये फलक भाता हैइक मुद्दत से तेरे चेहरे को पढ़ता हूंइक ग़ज़ल के सिवा कहाँ कुछ आता हैतेरा यकीन तैरता है मेरे ज़ज्बात मेंमेरी दरिया का हर सफर समन्दर जा
मै वो धुआं हूंजो हवा देख घबराता हूं.. 💔अपने हालात देखखुद से नजरे चुराता हूं.. 💔इक उम्र गुजारी है पिंजरे मे मै वो परिंदा हूं जो आसमा देख मुस्कराता हूं 💔यहाँ मुक्कमल होना सब शर्त पर तय है औ
मै एक दिन सहरा ना बन जाऊंजिस तरह अब बढ़ रही है प्यास मेरी मै कोई दरिया ना पी जाऊंइक मुद्दत से ढक रखा है आईनाअब देखूं जो मैं कहीं डर ना जाऊंसंभालना होश मुश्किल है साहिल परआती जाती लहरों से लड