मैं इक आईना हूं
कैसे मुकर जाऊं.
देखूं तुम्हें फिर
मै भी संवर जाऊं
इक सहरा प्यासा है कब से
कोई दलदल है डूब जाऊं की निकल जाऊं
कहाँ ख्वाब मुकम्मल है यहाँ
किसी पल का कोई मंजर बन जाऊं
फुर्सत से पढ़ना मेरे माशूक अल्फाज़ मेरे
मरता हूं तुम पर तो बोलो मर ही जाऊँ
डर है की तुझे खो ना दूँ
खौफ है की मै ही ना बिखर जाऊं
मैं इक आईना हूं
कैसे मुकर जाऊं.
देखूं तुम्हें फिर
मै भी संवर जाऊं...... ❤️