मै तेरे जाने के बाद किससे मोहब्बत करता
तू शख्स था आखिरी जिसे मैं रब कहता
मेरी उदासी भी तुम्हें देख रंगीन हो जाती थी
अब मैं इन अंधेरों की खामोशी से क्या कहता
हर सवाल तुझ पर आके खत्म हो जाते थे
अब आँखों से इशारे किसे करता
हर आग जो लगी है वो दिखती नहीं
बेवजह दरिया के साथ वफा मैं क्या करता
तेरा शहर मुझे छोड़ कर सबको बुलाता है
इक मैं हूँ की मेरा वो इंतजार नहीं करता
काटी है मैंने भी तन्हाइयों मे रातें
इक तेरी याद के सिवा किसी की दरकार नहीं करता
हर शाम तकता हूं देर तक आईना
कोई शख्स है जो पीछे से आ के अब प्यार नहीं करता
इंतज़ार मैं भी करूंगा उस लम्हे तक
देखता हूँ कब तक वो मुझे प्यार नहीं करता
मै तेरे जाने के बाद किससे मोहब्बत करता
तू शख्स था आखिरी जिसे मैं रब कहता
मेरी उदासी भी तुम्हें देख रंगीन हो जाती थी
अब मैं इन अंधेरों की खामोशी से क्या कहता....