सफर की सुरुआत
एक ट्रेन काफी तेजी से बढ़ती जा रही थी उसके एक बोगी के एक डब्बे में window सीट पे बैठी एक लड़की जिसने लोंग कुर्ती के साथ एक ढीली सी प्लाजो पहन रखी थी उकी काले लंबे बाल हवा के बहाव के साथ उसके चेहरे को ढक रही थी।।
उसका गोरा रंग उसपर उसकी नीली आँखे किसी झील गहरी थी जिनमे मोती जैसे आँसू की कुछ बूंदे झलक रहे थे जो उसके दर्द को साफ उसके चेहरे पे दिखा रही थी वो एक तक खिड़की के बाहर के नजरो को देख अपने आंसू को रोकने की नाकाम कोशिस कर रही थी जो सोच में थी कि उसके बगल में बैठे एक उसी के उम्र के लड़के ने उसके हाथों पे अपना हाथ रख कर पूछा।।
लड़का : तुम चिंता मत करो हम जल्दी ही वह होंगे
लड़की : आखो में नमी लिए हुए बोली देव तू ने कभी भी किसी से प्यार किया है ।।
देव : हा हा झूट मुठ के हस्ते हुए बोला काश ये प्यार नाम की बीमारी का कोई इलाज होता तो कर लेता प्यार तो कभी भी किसी से हो सकती है पर प्यार सबके नसीब में कहा होता है अगर होता तो तू और मै इस तरह अपनी ही सादी से भाग कर किसी की तलाश में न निकलते मै तुझ से पुछु क्या तूने जिसे प्यार किया है क्या ओ भी तुझे प्यार करता है।।
लड़की : कभी ये ही उन्होंने ने भी पूछा था तब मैंने उन्हें जबाब नही दे पाई थी कहते है ना इंसान को अपनो की,उनके होने की और उनके प्यार का एहसास तब ही होता है जब ओ हमसे बहुत दूर होते है।।
देव : आरु अगर उसने तुझे नही पहचान अब तो तू क्या करेगी या उसके लाइफ में कोई और होगा तो क्या करेगी??
आरुही :(यानी हमारे कंहानी की लीड जी कीआरुही कस्यब जो कि दामोदर कस्यब की एकलौती बेटी थी दामोदर कस्यब पूरे हरियाणा का चीफ मिनिस्टर थे जिनके नाम से भी लोग थर थर कापते थे उन्ही की बेटी ने आज अपने प्यार के जीत के लिए अपने ही सादी के मंदक से अपने दूल्हे यानी अपने बचपन के दोस्त देव सिंह के साथ भाग गई थी।।
आखिर उनकी ये फैसला क्या मोरे लाएगी उनके इस सफर में जानने के लिए पढ़िए मेरुई इस रचना को ।।🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗