🕉️🕉️🕉️🐚🐚सृष्टि-रहस्य🐚🐚🕉️🕉️🕉️‘महाशुन्य’ ‘ब्रह्म-एषणा’ की छद्म अभिव्यक्ति!"व्यष्टि" में लुप्त हुई समस्त- अव्यक्त "समष्टि"!!धूम्र-वर्ण निहारिका, अपार व्योम दृष्टव्य सारा!चकाचौंध तारे, हटात् उभरा अशुभ पुच्छ्ल तारा!!धूम्रकेतु- सप्त-ॠषि- मनोहर निहारिकायेंअतुल सृष्टि का मनमोहक अद्भुत भण्डारण!स