ये कहानी हैं... बबलू की...
उसका असली नाम क्या हैं वो इस कहानी में आपको पता चल जाएगा...।।
दिवाली से दो दिन पहले मैं अपने बच्चों और पति के साथ तैयारी कर रही थी.. पुरा दिन साफ सफाई के बाद.. सजावट के बाद... हम सभी रात को खाना खाने बाहर एक रेस्टोरेंट में गए.... खाना खाकर जब हम अपनी बाईक से वापस घर की ओर आ रहें थे तो... मेरी नजर गली के एक मोड़ पर एक बच्चे पर पड़ी.... कुछ बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ पटाखे जला रहे थे और उनके पास एक बच्चा खड़ा था... जो हर पटाखा जलने पर उछल उछल कर खुश हो रहा था.... तालियां बजा रहा था....।।।। मुझे उसकी वो मस्ती देखकर अनायास ही एक खिचाव सा हुआ...।।। मैनें तुरंत मेरे पति से कहकर बाईक रुकवाई और उस बच्चे के पास गई....।।।।। वो अभी भी अपनी मस्ती में था...।।।।। मैनें वहाँ खड़े लोगों से पुछा ये बच्चा आपका हैं तो इस पर सभी ने मना कर दिया और कहा.... पता नहीं कौन है... कब से यहाँ खड़ा पागलों की तरहा खुश हुए जा रहा हैं..।।।
मैं अब उसके बारे में जानने को ओर भी उत्सुक हो गई... मैं उसके पास गई और पुछा:- बेटा कौन हो आप..?
बबलू.... मेरा नाम बबलू हैं...उसने बढ़े ही प्यार से मुझे देखते हुए कहा.....।।।
अभी मैं कुछ ओर पुछती इससे पहले ही मेरे पतिदेव वहाँ आ गए और बोले... :- क्या कर रहीं हो शिखा..... बीच रस्ते में ऐसे... घर नहीं चलना क्या....।।
शिखा:- बस दो मिनट शेखर... प्लीज....।।
शेखर:- गो टू हेल..... जो चाहिए करो मैं जा रहा हूँ....।।।।
शिखा:- दो मिनट तो रुको...।।
अच्छा बेटा ये बताओ तुम रहते कहाँ हो मैं कल तुमसे घर पर आकर मिलती हूँ....।।।।
बबलू:- घर... मेरा कोई घर नहीं हैं... मैं तो वो सड़क पर.... वो दूर दिख रहा हैं आपको पीपल का पेड़... वहाँ पर कभी कभी सोता हूँ...।
शिखा:- तुम्हारा घर नहीं हैं..!!! और मम्मी पापा.... वो भी तुम्हारें साथ वही रहते हैं...??
बबलू:- मम्मी पापा..... वो क्या होता हैं....
शिखा:- तुम्हारे साथ कौन रहता हैं..?
बबलू:- कोई नहीं..... मैं तो अकेला रहता हूँ....।।।
शिखा:- तुम्हें पटाखे पसंद हैं ना....!!
बबलू:- हां बहुत....।
शिखा:- ठीक हैं तो मैं कल सुबह को वही आतीं हूँ.... उस पेड़ के पास.... फिर हम दोनों मिलकर बहुत सारे पटाखे जलाएंगे।।। अभी अंकल गुस्सा कर रहे हैं...।।।
तुम बैठोगे ना वहाँ...।।।
बबलू:- हां.... लेकिन आप सच्ची में आओगे ना पटाखे लेकर....!!
शिखा:- हां सच में आऊंगी...।।। और आपके लिए चोकलेट भी लाऊंगी....।।।।।
बबलू बहुत ही आश्चर्य से मुझसे पुछता हैं... :- चाकलेट क्या होता हैं आंटी....।।।।!!!!???
उसकी ये बात सुनकर मैं सोच में पड़ गई.... शायद ही कोई ऐसा बच्चा होगा.... जिसे चाकलेट क्या होता हैं वो ना पता हो.... खैर मैनें बढ़े ही प्यार से उसे कहा... :- वो आपको सुबह में आकर बताउंगी।।। अभी चलतीं हूँ....।। मैने प्यार से उसके गाल पर एक किस किया और मन मारकर वहाँ से चली आई..। मैं वहाँ रुककर उससे बहुत सारी बातें करना चाहती थी पर.....मुझे एक पत्नी और एक माँ का किरदार भी तो निभाना था...।।। मेरा इस तरहा से उस बच्चे से बात करना ना ही मेरे पति को पसंद आया और ना ही मेरेे बेटे को....।।।
लेकिन जो भी हो मैं तो बस जल्द ही सुबह के होने का इंतजार कर रहीं थी....।।।।।।