नई दिल्ली : देश में लड़का- लड़की के लिंगानुपात को बेहतर बनाने के लिए जहां सरकार ने भ्रूण टेस्ट रोकने को लेकर कठोर नियम कानून बना रखे हैं वहीँ सरकार के इस कानून की आड़ में परिवार कल्याण विभाग के अफसर अपनी काली कमाई के चक्कर में उन डॉक्टरों को भी परेशान कर रहे है, जो सरकार की इस मंशा को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की इस मनमानी के खिलाफ डॉक्टरों ने अब एकजुट होकर देश व्यापी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है.
1 सितंबर से बंद रहेंगे अल्ट्रासाउंड सेंटर
जिसके चलते 1 सितंबर से देश के सभी डायग्नोस्टिक सेंटरो पर की जाने वाली अल्ट्रासाउंड जाँच पूर्ण रूप से अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते बंद रहेगी. मंगलवार को इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोशिएशन (IRIA) की यहाँ आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी IRIA के अध्यक्ष डॉ. ओपी बंसल और सचिव डॉ. प्रमोद लोनिकर ने एक संयुक्त बयान में दी. उन्होंने बताया कि देश भर में तकरीबन 1000 ऐसे फर्जी मुकदमें डॉक्टरों के खिलाफ कमाई के लिए दर्ज कराये गए हैं, जो बिलकुल झूठे हैं.
डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज मुकदमें वापस लेने की मांग
फिलहाल डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज कराये गए फर्जी मुकदमों को तत्काल वापस न लिए जाने पर इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोशिएशन (IRIA) ने सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने का मन बनाया है. इसके साथ ही डॉक्टरों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि दो दिन के भीतर राज्य सरकारें इस मामले का कोई पुरसाहाल नहीं खोजती हैं तो 1 सितंबर से देश के अल्ट्रासॉउन्ड केंद्रों पर किसी भी तरह की जाँच पूरे देश में कहीं नहीं की जाएगी.
कामकाज ठप करने को मजबूर हुए डॉक्टर
एसोशिएशन के अध्यक्ष डॉ. ओपी बंसल और सचिव डॉ. प्रमोद लोनिकर ने 'इंडिया संवाद' से एक बातचीत में बताया कि अगर इसके बाद भी उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो देश के अल्ट्रासॉउन्ड क्लीनिकों के साथ इस आंदोलन में देश के रेडियोलाजिस्ट सेंटर भी अपने कामकाज को ठप करने का ऐलान कर सकते हैं. डॉक्टरों कि मने तो उन्हें पीसी और PNDT अधिनियम का वास्ता देकर जबरन परेशान किया जाता है. जबकि यह नियम इतने कठोर हैं कि डॉक्टर खुद इनका पालन करते है.
लिंग जाँच के कानून की आड़ में फंसाया जाता है डॉक्टरों को
इन डॉक्टरों ने यह भी बताया कि देश में लड़कियों और लड़कों का लिंगानुपात दुरुस्त हो सके. जिसके चलते कई ईमानदार रेडियोलॉजिकल खुद इस कठोर नियम का पालन करते हैं. बावजूद इसके उन्हें रत्तीभर कि गलती पर इस नियम कि धमकी देकर स्वास्थ्य विभाग के अफसर अपनी काली कमाई के चक्कर में फर्जी केस बनाकर फंसा देते हैं. जिसके चलते इकलौते राजस्थान में ही डॉक्टरों के खिलाफ इस मामले में तकरीबन 600 फर्जी मुकदमें दर्ज कराये जा चुके हैं.
छोटे-छोटे मामलों में फंसाया जाता है डॉक्टरों को
एसोशिएशन के डॉक्टरों ने इंडिया संवाद से बात करते हुए यह भी कहा कि जानबूझ कर उन्हें छोटे-छोटे मामलों में फंसाकर उन्हें बिना वजह प्रताड़ित किया जाता है. उन्होंने बताया कि जाँच से पहले जो फार्म भरा जाता है. उसमें अगर जरा सी भी त्रुटि हो गयी हो या फिर एप्रन पर डॉक्टर का नाम न लिखा हो, तब भी परेशान किया जाता है. जबकि इससे उनका कुछ लेना देना नहीं है. फिलहाल एसोशिएशन ने सरकार से कानून को बदले जाने की मांग करी है. इसके साथ यह भी कहा है की जिन राज्यों के डॉक्टर सहीं में लिंग अनुपात की जाँच कर रहे हैं. उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएँ और निर्दोष डॉक्टरों को बिना वजह परेशान न किया जाये.