लखनऊ-: भाजपा के चाणक्य साबित हो चुके अमित शाह इस समय अपने पूरे राजनीति क शबाब पर हैं। समूचे देश में भाजपा का परचम फहरा देने के गहन आत्मविश्वास से सराबोर। देश के 13 प्रदेशों में भाजपा और तीन राज्यों में सहयोगी दलों की सरकार बनाने के बाद अब इनका सपना है देश के शेष भूभाग पर भी भगवा फहराने का।
कार्यकर्ता विनम्र, परिश्रमी और सत्तादंभ से दूर रहें
इस उद्देश्य से पूरे तीन माह तक देश के विभिन्न प्रदेशों की यात्रा शुरू करने के बाद अमित शाह ने उत्तर प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक के अपने समापन भाषण में कार्यकर्ताओं को अतिविनम्रता और शालीनता के साथ अथक और अनवरत श्रम करते रहने के लिये उत्प्रेरित किया है। इस बैठक में उन्हें सुनकर लगा कि शाह देश में 11 करोड से भी अधिक लोगों को भाजपा का सदस्य बनाने वाली इस पार्टी को देशभक्तों का जमावडा मानते है। इस बार इनका लक्ष्य जिन बूथों पर भाजपा नहीं जीती हैं, उन पर उसे जिताने का हैं। अभी तक जो लोग उनकी पार्टी से नहीं जुड सके हैं, उन्हें भी अपने साथ जोडने का है।
मुख्य मंत्री योगी इस तरह कर सकते हैं प्रदेश का कायाकल्प
अमित शाह का कहना है कि देश में जो विश्वास प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिये है, वही प्रदेश में मुख्य मंत्री योगी के लिये भी है। प्रदेश का कायाकल्प करने के लिये योगी को केंद्र सरकार की 105 योजनाओं को जमीन पर उतारना होगा। पार्टी का लोककल्याण संकल्प पत्र योगी सरकार के लिये गीता की तरह है। ऐसे में अहंम् सवाल यह है कि 2019 के लोकसभाई चुनाव में भाजपा अपनी विजय का एक नया कीर्तिमान कैसंे स्थापित करेगी? इसके लिये उसकी उनकी रणनीति क्या होगी?
बीस हजार विस्तारकों की होगी अति महत्वपूर्ण भूमिका
‘इंडिया संवाद‘ को इस सवाल की तह में जाने पर लगता है कि पार्टी ने इसके लिये व्यापक रणनीति बनायी है और उसने उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। इसके लिये उसने पहली बार पार्टी में लगभग 20 हजार पूर्णकालिक विस्तारकों की नियुक्ति करने का फैसला किया है। इन्हें प्रदेश के सभी एक लाख 47 हजार और 148 बूथों के स्तर तक उतारा जायेगा। इससे संगठनात्मक गतिविधियों के विस्तार मे आसानी होगी। ये विस्तारक ही सरकार और पार्टी नेतृत्व के आंख और कान की तरह काम करेंगे। छोटे जिलों में एक और बडे जिलों में दो विस्तारक नियुक्त किये जायेंगे। ये वर्ष 2019 में होने जा रहे आमचुनाव तक काम करते रहेंगे। इनकी सोच और कार्यप्रणाली बडी सकारात्मक होगी। इसलिये ये सिर्फ मोदी और योगी सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुचायेंगे। इनका मुख्य दायित्व लोगों को भाजपा और गैरभाजपाई सरकारों के बीच का फर्क समझा कर भाजपा के पक्ष में उनका बे्रनवाश करना रहेगा।
सरकार और संगठन के बीच सेतु रहेंगे विस्तारक
इन विस्तारकों के जरिये प्रदेश की योगी सरकार जनसमस्याओं का तत्काल निराकरण करने का प्रयास करेगीं। इनके जरिये वह प्रदेश के आम आदमी को इस बात का भरोसा दिलाने का प्रयास करेगी कि पार्टी उनकी समस्याओं का समाधान करा सकने में पूरी तरह समर्थ है। यह तभी संभव है, जब कोई ऐसा माध्यम रहे , जो जनसमस्याओं को सरकार तक पहुंचा कर उनका सही समाधान करा सके। इस दृष्टि से इन विस्तारकों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
प्रस्तावित महागंठबंधन से भी निपटने की तैयारी
बहरहाल, 2019 के चुनावी संदर्भ में भाजपा के लिये सबसे गंभीर चुनौती विपक्षी दलों का भाजपा के खिलाफ अपना महागठबंधन बनाने की तैयारी हैं। इससे भाजपा को झटाका लग सकता है, क्योंकि पिछले लोकसभाई चुनाव में इन सभी दलों को मिले वोट भाजपा से लगभग दस प्रतिशत अधिक हैं। इसके लिये भाजपा को हर हाल में अगडे, पिछडे और दलित वोटों की लामबंदी को पहले से भी कहीं अधिक मजबूत बनाना है। लगता है कि यही सोचकर उत्तर प्रदेश में मिली प्रचंड विजय के तुरंत बाद ही मोदी और अमित शाह की जोडी ने अपने कार्यकर्ताओं से यह अपील करनी शुरू कर दी है कि किसने वोट दिया है और किसने वोट नहीं दिया है, इस बात को भूलकर सबके कल्याण की बात और कोशिशें करनी हैं। इसका मतलब यह हुआ कि पिछले चुनाव में इन जातियों के जिन लोगों ने उसे वोट नहीं भी दिया है, उन्हें भी अपने साथ लाया जाय।
वोट प्रतिशत बढाने की तैयारी
इस तरह भाजपा अपना वोट प्रतिशत 42 से बढाकर 52 प्रतिशत करना चाहती है। इसीलिये योगी सरकार बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों की समस्याओं को हल करने के लिये काम करती दिखाई पड रही है। इसके तहत लघु एवं सीमांत किसानों की कर्जमाफी, मजदूरों को बीमा का लाभ, उनके बच्चों को वजीफा देने, भूमिहीनों को घर बनाने के लिये जमीन देने का फैसला, गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन और सस्ती बिजली देने आदि के निर्णय एक के बाद एक कर लिये जा रहे हैं। इस तरह इस सियासी जंग को 80 बनाम 20 बनाने की कोशिश होगी।
जातीय समीकरण पर पूरा जोर
बहरहाल, लोकसभा का चुनाव हो या विधान सभा का, भाजपा को हिंदुत्व समीकरण के आधार पर यानी अगडों, पिछडों और दलितों की लामबंदी से लगभग 42 प्रतिशत वोट मिले हैं। इसके लिये नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने बडे कूटनीतिक चातुर्य से काम किया था। इन दोनों ने अपने भाषणों के जरिये हिंदुत्व को खासा बल दिया था। इसके जरिये विभिन्न वर्गों में बंटी सूबे की जातियों और प्रजातियों पर हिंदुत्व का रंग चढाकर उन्हें एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की गयी थी। इसका मकसद यह था कि विपक्षी दल भाजपा पर ऐसा आक्रामक प्रहार करें, ताकि लोगों को भजापा नेताओं का नाता हिंदुत्व के सरोकार से ही लगे। इसी के चलते विपक्षी दलों ने भाजपा पर जमकर ऐसा ही हमला किया, जिसका राजनीतिक फायदा मोदी और अमित शाह की जोडी ने उठा लिया। यही 2019 के भी चुनाव में किया जायेगा।
मोदी-शाह का रणनीतिक कौशल
इसे बेहतर ढंग से समझने के लिये इस बात की मिसाल देनी जरूरी है कि विधान सभाई चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदुओं के पलायन की बात उठाये जाने पर विपक्षी दलों ने भाजपा पर साप्रदायिकता का आरोप लगाया था। भाजपा को इसका राजनीतिक लाभ यह मिला कि लोगों में यह संदेश बडी आसानी से चला गया कि इस देश में हिंदुत्व का सरोकार सिर्फ भाजपा से ही है। इसके बाद रही सही कसर भाजपा के चुनावी संकल्पपत्र में राम मंदिर निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता, अवैध बूचडखानों को बंद करने के वायदे तथा तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के सिलसिले में भाजपा की तरफ से उसकी पैरवी करने की बात ने रंग को और चोखा कर दिया। यह समीकरण अगडों, पिछडों और दलितों की एकजुटता को बनाये रखने से और ज्यादा मजबूत होगा। पिछले विधान सभाई चुनाव में भाजपा की मुस्लिम विरोधी छवि बनाने की जीतोड प्रयासों के बावजूद, भाजपा ने हिंदुत्व के समीकरण के जरिये इसकी जबरदस्त काट की थी। इसका भी भाजपा को भरपूर लाभ मिला था।
दलितों पर डोरे
भाजपा ने लोकसभा के चुनाव में सुरक्षित सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस विधान सभा के चुनाव में भी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिये आरक्षित 86 सीटों में भाजपा गठबंधन ने 76 सीटें जीती हैं। इस तरह इन जातियों में भी भाजपा की स्वीकार्यता बढी है। भाजपाइयों ने दलित समुदाय की बस्तियों में जाकर यह बताना शुरू कर दिया है कि मोदी सरकार ने ही डा0 अंबेदकर को भारतरत्न की उपाधि से नेवाजा है। इतना ही नहीं, वह दलित समुदाय से जुडे स्थलों का भी विकास करने जा रही हैं। इसके लिये दलित युवकों को यह समझाया जाना शुरू हो गया है कि उनके रोजगार के लिये मोदी सरकार ने अब तक क्या किया है और भविष्य में वह और क्या क्या करने जा रही है। इस दिशा में दलित नेता रामशंकर कठेरिया का प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बना दिये जाने पर दलितों पर पार्टी की पकड और ज्यादा मजबूत हो जायेगी।