नई दिल्ली : हो सकता है अगली बार जब जॉब के लिए आपको कॉल आये तो दूसरी तरफ से आप चैटवोट से बात कर रहे हों। कई बहुराष्ट्रीय, भारतीय और विदेशी कंपनियों के लिए एचआर बैकएड का प्रबंध कर रही गुड़गांव स्थित कंपनी 'पीपुल्स स्ट्रोंग' पिछले छह महीने से अपने काम में चैटवोट का इस्तेमाल कर रही है। इसके जरिये वह उम्मीदवार की योग्यता और उसकी जॉब में रूचि का पता बड़ी अच्छी तरह कर सकती है। पीपुल्स स्ट्रांग के सीईओ पंकज बंसल का कहना है कि उन्होंने इस ऑटोमेशन तकनीक के लिए लगभग 50 करोड़ रूपये का निवेश किया है। कंपनी पिछले छः महीने से इसी तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
जानी मानी लॉ फर्म 'सिरिल अमरचैंट मंगलदास जनवरी से अपने यहाँ दस्तावेजों को देखने के लिए भी कृत्रिम इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल का रहा है। इस सॉफ्टवेयर को बनाने वाली कम्पनी ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि यह 20 से 30 प्रतिशत समय की बचत करता है। इसी तरह कई बड़े बैंक भी अपने बिज़नेस प्रोसेस के लिए चैटवोट का इस्तेमाल कर रही है।
2015 में आईटी कंपनियों ने की 24 प्रतिशत नौकरियां कम हुई
एक आंकड़े के मुताबिक़ आईटी-बीपीओ के क्षेत्र में करीब 3.7 मीलियन लोग काम कर रहे हैं। लेकिन, ऑटोमेशन को लेकर सबसे ज्यादा असर बीपीओ और इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट स्पेस पर रहेगा जो ऑटोमेशन को अपना रहे हैं। इस वक़्त भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों में तकरीबन 42.5 लाख लोग काम कर रहे हैं। लेकिन हालही में आये आईटी सेक्टर के बदलाव ने इस क्षेत्र में जाने वाले छात्रों के मन में एक भय पैदा कर दिया है। साल 2015 की ही बात करें तो भारतीय आईटी कंपनियों ने की 24 प्रतिशत नौकरियां कम हुई। इन कंपनियों में टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल और कॉग्निजेंट शामिल हैं।
चेन्नई की सॉफ्टवेयर कंपनी कॉग्निजेंट ने 2014 के मुकाबले 2015 में अपने यहाँ नौकरियों में 74.6 प्रतिशत की कमी की जबकि एचसीएल ने साल 2015 में नियुक्तियों में अपने यहाँ 71 प्रतिशत की कमी की। कहा जा रहा है कि ऑटोमेशन से कंपनियों की प्रयोग की दर में सुधार हुआ है इसलिए वह लगातार ऑटोमेशन का सहारा ले रही हैं।
टैक्सटाइल कंपनी रेमंड्स का कहना है कि अगले तीन सालों में वह 10,000 नौकरियां कम कर देंगे। उनका कहना है कि वह अब नौकरियों के बदले नई टेक्नोलॉजी का सहारा लेंगे। रेमंड्स के सीईओ संजय मलिक का कहना है कि फिलहाल रेमंड्स के 16 मैनुफैक्चरिंग प्लांट में अभी 30,000 लोग काम कर रहे हैं जिन्हें हम आगामी समय में 20,000 कर देंगे।
30 फीसदी नौकरियों में गिरावट
आईटी इंडस्ट्री की एक संस्था 'द नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज' (नेस्कॉम) ने कहा कि इस रिपोर्ट में सभी नौकरियों को ठीक तरीके से नहीं दर्शाया गया है क्योंकि नौकरियां नई टेक्नोलॉजी से सृजित होती हैं। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, नेस्कॉम के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट संगीता गुप्ता ने कहा कि ऑटोमेशन का कुछ असर आईटी सेक्टर पर होगा। लेकिन ऐसा मानते हैं कि टेक्नोलॉजी के अपनाने से और नौकरियां बढ़ेंगी।
एचएफएस रिपोर्ट में कहा गया है कि कम दक्षता वाली नौकरियां में करीब 30 फीसदी की गिरावट आएगी, जबकि मध्यम दक्षता वाली नौकरियां में 8 फीसदी इजाफा होगा और उच्च दक्षता वाली नौकरियों में करीब 56 फीसदी की जबदस्त बढ़ोतरी होगी। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब लोगों के रोजगार पर नई टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन के कारण संकट आया है।
नौकरियों की जगह रोबोट लेंगे
एक अमेरिकी रिसर्च फर्म की माने तो आने वाले पांच सालों में इंडियन आईटी सेक्टर में ऑटोमेशन के कारण 6.4 लाख लॉ स्किल्ड नौकरियां चली जाएंगी। इन नौकरियों की जगह रोबोट जैसी टेकनोलोजी ले सकती है। जानकारों की माने तो आगामी समय में आईटी सेक्टर में हाईस्किल्ड टेक्नोलॉजी में नौकरियां बढ़ेंगी लेकिन लॉ- स्किल्ड नौकरियां कम हो जाएँगी। नई रॉबोट टेक्नोलॉजी से तो ये संकट और भी बढ़ गया है, क्योंकि एक रोबोट 100 लोगों के बराबर काम कर सकता है।