लखनऊः दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा के नए चेहरे उतारने के फॉर्मूले ने उत्तर प्रदेश विधान सभा मे प्रचण्ड जीत के समान एमसीडी में जीत हासिल कर चुनाव के लिये उम्मीदवारों के चयन की एक नई राह खोल दी है।उत्तर प्रदेश में भी निकाय चुनाव होने है और उसमें भाजपा एमसीडी चुनाव का ही फॉर्मूला अपनाने का मन बना रही है।
इस फार्मूले के चलते एक ओर जहाँ पुराने व्यक्तियों को टिकट नही मिलेगा वही दूसरी ओर उनके निकट संबंधियों या रिश्तेदारों को भी चुनाव में केवल कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने का ही मौका मिलेगा। दूसरे शब्दों में पिछले चुनाव के उम्मीदवार और नेताओं के परिवारीजन भाजपा का टिकट पाने से वंचित हो सकते हैं।
आरक्षण की प्रक्रिया के चलते चेहरों का बदलना जरूरी भी है।प्रदेश में 14 नगर निगम, 202 नगर पालिका परिषद और 438 नगर पंचायतों में चुनाव के लिए भाजपा ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इन चुनाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य उम्मीदवारों का चयन है। निकाय चुनाव में आरक्षण रोस्टर की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
आरक्षण का काम 25 मई तक पूरा किया जाना है। इस बीच सरकार नगर विकास विभाग के जरिये पिछडी जातियों का रैपिड सर्वे भी करवा रही है। शुक्रवार तक यह कार्य पूरा होना है। इसी आधार पर निकाय क्षेत्रों का आरक्षण तय होना है। जाहिर है कि 2012 के चुनाव के सापेक्ष इस बार महिला, पिछडी जाति, अनुसूचित जाति तथा सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित सीटों का चक्रानुक्रम बदलेगा। इस कारण से भी भाजपा को नए उम्मीदवार लाने ही होंगे।
निकाय चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने नगर निगम, नगर पलिका परिषद और नगर पंचायतों में प्रभारी तैनात कर सूचनाओं का संकलन शुरू कर दिया है। इस बीच दूसरे दलों से भाजपा में आने वालों की संख्या भी बढ़ोत्तरी हुई है। भाजपा में जो शामिल हो गया वह अब भाजपा का ही है।निकाय चुनाव में मजबूत और लोकप्रिय कार्यकर्ताओ को ही मौका मिलेगा।
2012 में नगर निगमों में भाजपा का परचम लहराया था। 2012 में निकाय चुनाव में 12 नगर निगमों के लिए चुनाव हुआ था जिसमें भजपा ने दस पर विजय हासिल की थी। सिर्फ बरेली और इलाहाबाद में भाजपा उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा था।इलाहाबाद की महापौर अभिलाषा गुप्ता अब भाजपा में शामिल हो गई है, इस तरह 11 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। उपमुख्यमंत्री बनने के बाद लखनऊ के महापौर का पदभी रिक्त हो गया है।
कई नगर पंचायतों और पालिका परिषदों के अध्यक्ष भी भाजपा में शामिल हो चुके है। 202 नगर परिषद में करीब 40 और 438 नगर पंचायतों में करीब सौ सीटों पर भाजपा का कब्जा है। चुनावों में लगातार मिल रही विजय के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि अभी स्वर्णिम काल आना बाकी है। यानी विधानसभा चुनाव की तरह ही भाजपा यहां एकतरफा काबिज होना चहती है। इसीलिए पार्टी ने अपनी पूरी ताकत इन चुनावों के लिए झोंकना शुरू कर दी है।
यहाँ एक बात गौर करने वाली होगी कि यदि एमसीडी चुनाव फार्मूला उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में कारगर साबित हो गया तो इसका सीधा प्रभाव 2019 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा और ऐसे में करीब 70,-75% तक वर्तमान सांसद(Sitting MP) को अपनी सदस्यता से अलग होना पड़ सकता है।इसमें सांसद निधि के जायज़ या नाजायज़ उपयोग को भी टिकट देने पर विचार करने से पूर्व देखा जा सकता है।