नई दिल्ली : यूपी में अखिलेश की साईकिल पर पैर रखने की गुंजाईश ना दिखने के बाद पूर्वांचल के बाहुबली डॉन मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल (कौएद) का विलय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में गुरुवार को हो गया. जिसके चलते बसपा के टिकट पर डॉन मुख्तार, उनके बड़े भाई और बेटा विधानसभा के दंगल में कूदेंगे. चुनाव से चंद दिन पहले पार्टी सुप्रीमो बहनजी के इस फैसले को सियासत के दंगल में एक बड़ा राजनीति क पैंतरा माना जा रहा है.
मायावती ने मारी बाज़ी
सियासत के दंगल मुख्तार की पार्टी कौएद का विलय बसपा में किये जाने को लेकर राजनीति के दंगल के धुरंदरों का कहना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह बड़ा फैसला पूर्वांचल की तीनों सीटें जीतने के लिए लिया है. इसीलिए उन्होंने दो दिन पहले मुख्तार को खूंखार अपराधी बताने वाले अपने दिए गए बयान से मुकर गयीं. दरअसल मायावती मुख्तार अंसारी के दल का विलय बसपा में करने को लेकर पिछले एक महीने से आस लगाए बैठीं थीं, लेकिन वह यह चाहती थीं कि पैरवी कौएद की ओर से हो तो उनके लिए बेहतर होगा.
अखिलेश से हुई चूक
गौरतलब है कि मुख्तार समाजवादी पार्टी में जाना चाहते थे और अखिलेश अपनी जिद पर अड़े थे. इस बीच मौके की तलाश में बैठीं मायावती को मौका मिल गया और उन्होंने कोएद को अपने पाले में खिंच लिया. बताया जाता है कि अंसारी बंधुओं को अगर सपा से टिकट मिलता तो उनकी झोली में ये तीनों सीटें जातीं. लेकिन सपा मुखिया अखिलेश चूक गए, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है.
पूर्वांचल का बड़ा अल्पसंख्यक वोट मुख्तार के इशारे पर
बताया जाता है कि कौएद अध्यक्ष अफजाल अंसारी से मुलाकात के बाद उन्होंने मुख्तार के दल का विलय बसपा में कर लिया. इसके साथ ही एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर यह भी कह दिया कि कौमी एकता दल का बसपा में बिना शर्त विलय कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि अंसारी परिवार के खिलाफ किसी के पास कोई सुबूत नहीं है. इसीलिए उनकी पार्टी का बसपा में विलय किया गया है. सूत्रों के मुताबिक सियासी दांव पेंच में माहिर मायावती ये बात अच्छी तरह से जानती हैं कि अंसारी परिवार का पूर्वांचल में खासा वर्चस्व है. इसलिए अगर उनको टिकट दिया जायेगा तो वह सीट जीतकर ही देंगे. इसीलिए उन्होंने अपने खाते में पूर्वांचल की तीन सीटें जोड़ने के लिए कोएद का विलय किया है. मालूम हो कि पूर्वांचल के कई इलाके ऐसे हैं जहां डॉन मुख्तार अंसारी की तूती बोलती है और पूर्वांचल का अल्पसंख्यक वोट उनके इशारे पर पड़ता है.
अंसारी परिवार में किसको कहां से दिया गया टिकट
मायावती ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को मऊ से टिकट दिया है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में मुख्तार अंसारी इसी सीट से विधायक हैं. मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी सीट से तथा उनके भाई सिबगतउल्ला अंसारी को मुहम्मदाबाद यूसुफपुर सीट से बसपा का टिकट दिया है. मायावती ने अंसारी परिवार का बचाव करते हुए कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने छवि खराब करने के लिए इस खानदान के लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाया है.
CBI के पास कोई सबूत नहीं : माया
मायावती ने अंसारी बंधु पूर्व में भी बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन सपा के दबाव में उन्होंने यह पार्टी छोड़ दी थी. मायावती ने जेल में बंद विधायक मुख्तार अंसारी का बचाव करते हुए कहा कि उनका नाम भाजपा विधायक कृष्णानन्द राय हत्याकांड मामले में आया था, जिसकी सीबीआई जांच हो रही है. इस मामले में सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं है.
मुख्तार के भाई ने अखिलेश को बताया मुस्लिम विरोधी
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि बसपा ना सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी है बल्कि एक सामाजिक क्रांति भी है. वह चाहती है कि जिन लोगों ने गलत रास्ता पकड़ लिया और खराब लोगों के साथ हो लिये, उन्हें भी मुख्यधारा में लाया जाए. कौएद के अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को मुस्लिम विरोधी और धोखेबाज करार देते हुए कहा कि उन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और तत्कालीन सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पर भरोसा करके कौएद का सपा में बिना शर्त विलय किया था. ध्यान हो कि पिछले साल 21 जून को कौएद का सपा में विलय किया गया था. माफिया मुख्तार अंसारी की मौजूदगी वाली इस पार्टी को सपा में शामिल किया जाने का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुरजोर विरोध किया था, नतीजतन 25 जून को सपा संसदीय बोर्ड ने इस विलय को रद्द कर दिया था.