नई दिल्लीः समधी मुलायम सिंह यादव की पार्टी के स्थापना दिवस पर जुटे लालू यादव ने अखिलेश की चाचा शिवपाल से चल रही रार खत्म कराने की पहल की। दोनों को करीब लाकर हाथ मिलवाने से शुरुआत की। मगर पद पर रिश्तों की अहमियत को अखिलेश ने तरजीह देते हुए चाचा शिवपाल के लपककर चरण छू लिए। सबने सोचा कि शायद अब रिश्तों की कड़वाहट मिट जाएगी। मगर जब भाषण देने की बारी आई तो शिवपाल ने अखिलेश व उनके समर्थकों पर पार्टी को नुकसान बोलने का इल्जाम बगैर नाम लिए मढ़ा तो वही काम अखिलेश ने भी किया। उन्होंने भी बगैर नाम लिए चाचा शिवपाल पर हमला बोलते हुए कहा कि कुछ लोग सुनेंगे जरूर मगर समाजवादी पार्टी का सब कुछ बिगड़ने क बाद।
अखिलेश ने कहा-तलवार देकर चाहते हो कि मैं न चलाऊं
अखिलेश ने भाषण के दौरान अपनी विवशताओं को भी बयां किया। जब कार्यक्रम संयोजक मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने अखिलेश को सम्मान में तलवार सौंपा तो अखिलेश ने भाषण में चुटकी ली। कहा कि आप तलवार तो हाथ में देते हो मगर सोचते हो कि इस्तेमाल न करूं। आखिर हाथ में तलवाल रहेगी तो चलाना भी पड़ेगा। माना जा रहा कि जिस तरह से अखिलेश ने गायत्री आदि मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोप में बाहर निकाला मगर बाद में पिता मुलायम के कहने पर उन्हें फिर से कैबिनेट में शामिल करना पड़ गया, उसी को लेकर यह बात अखिलेश ने यह बात नेताजी और गायत्री दोनों को सुनाते हुए कही। अखिलेश ने कहा कि राम मनोहर लोहिया कहते थे कि लोग उनकी बात समझेंगे मगर उनके मरने के बाद। मैं लोहिया जी की बात दूसरी तरह कहता हूं। कि लोग मेरी बात सुनेंगे मगर समाजवादी पार्टी का सब कुछ बिगड़ने के बाद। अखिलेश ने कहा कि सभी साथियों के संघर्ष के बाद समाजवादी पार्टी का निर्माण हुआ है। जितने भी समाजवादी यहां आए हैं, आज वे संकल्प लें कि नेताजी पार्टी को जहां तक लेकर आए हैं, उसकी जिम्मेदारी हम उठाएंगे। आने वाला चुनाव यूपी ही नहीं देश का भी भविष्य तय करेगा।वहीं चाचा शिवपाल यादव के पैर अखिलेश ने छुए. उस वक़्त मंच पर इनके साथ मुलायम सिंह यादव, शरद यादव, एचडी देवेगौड़ा, अजित सिंह और अभय चौटाला मौज़ूद थे. मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कैबिनेट से चाचा शिवपाल सिंह यादव सहित चार मंत्रियों को बर्खास्त कर चुके अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि उनके हाथ में तलवार थमायी जाए और
मुझे नहीं बनना है मुख्यमंत्रीः शिवपाल
शिवपाल यादव ने कहा कि उनसे पार्टी के लोग जितना त्याग कराना चाहें करा लें। वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते। साथ ही शिवपाल ने कहा कि कुछ लोग पार्टी का भला नहीं चाहते। ऐसे लोगों के पास जनाधार नहीं है।