नई दिल्ली : पहले सांठगांठ कर घोटाला और अब भ्रष्टाचार में लिप्त अपने साथियों को बचाये जाने के लिए देहरादून में एसआईटी के खिलाफ लेख पाल संघ ने आंदोलन शुरू कर दिया है. बताया जाता है कि राजपुर थाने में दर्ज कराये गए लेखपाल साथी के बचाव में एकजुट होकर लेखपालों ने कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है.
खाते में बची थी 21 मीटर भूमि
सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड लेखपाल संघ द्वारा जिस लेखपाल को बचाये जाने के लिए यह आंदोलन शुरू किया गया है. उस घोटाले की खतौनी सोशल मीडिया पर वायरल हो जाने के बाद से यह बात साफ हो गयी है कि तत्कालीन लेखपाल ने यह घोटाला सांठगांठ कर अंजाम दिया था. बताया जाता है कि इस खतौनी पर साफ दिखाई दे रहा है कि खातेदार मदन लाल और बाला देवी के खाते में 21 मीटर भूमि बची थी और उसे फर्जी संगम नाथ के नाम 'गैर कानूनी' तरीके से 238 मीटर चढाने के आदेश 2010 में अपर तहसीलदार देहरादून द्वारा दिए गए.
भूमाफिया माँगा सिंह के नाम कर दी जमीन
सूत्रों के मुताबिक साल 2013 में यह जमीन 'भूमाफिया' माँगा सिंह के नाम चढ़ाते वक़्त भी रकबे पर ध्यान नही दिया गया. बताया जाता है कि 2015 में जब रकबे पर ध्यान दिया गया तो तहसीलदार देहरादून द्वारा लेखपाल और अपर तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही के बजाय भू माफिया के पक्ष में मूल खातेदार की बिना सहमति के 188 मीटर का संशोधन कर लेखपाल के कारनामों को छुपाने का प्रयास किया.
संगठन को गुमराह कर आंदोलन
सूत्रो के मुताबिक इस पूरे मामले को लेकर अगले कुछ दिनों में SIT द्वारा सीबीआई जाँच की मांग की जा सकती है. वैसे कई सामाजिक संगठन भी SIT के पक्ष में लामबंद हो रहे हैं. दिलचस्प है कि जो लेखपाल इस मामले में लिप्त है वही लेखपाल संघ का महामंत्री है. जिसके चलते आरोपी द्वारा अपने संगठन को गुमराह करके कार्य बहिष्कार करवाया गया है. इनके कारनामों की जानकारी आज दिन भर सोशल मीडिया में चलती रही. इस खतौनी के सोशल मीडिया में आने से लेखपाल और भूमाफियाओं के सांठ-गाँठ की कलई खुलती जा रही है.