नई दिल्ली : सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ लैंड डील की जाँच रिपोर्ट आखिरकार जस्टिस ढींगरा कमेटी ने पूरी कर ली है। ढींगरा कमेटी की यह रिपोर्ट अभी आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आयी लेकिन मीडिया से बातचीत में उन्होंने साफ संकेत दिए कि जाँच में जमीन सौदों में गड़बड़ी पायी गई है। सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में वाड्रा की कंपनियों की जाँच और पूर्व कांग्रेसी सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ केस दर्ज करने बात कही गई है। वही कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सीएम को सौंपे जाने से पहले यह रिपोर्ट पहले ही मीडिया में लीक हो चुकी है।
जाँच पर कांग्रेस ने उठाये थे सवाल - मनोहर लाल खट्टर सरकार ने इस जाँच रिपोर्ट को तैयार करने के लिए जस्टिस ढींगरा ने जाँच कमेटी के कार्यकाल को 4 बार बढ़ाया। हालाँकि कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को कई बार राजनीति से भी प्रेरित बताया और ढींगरा कमेटी पर बीजेपी के इशारे पर काम करने के आरोप भी लगाए। इस आयोग का गठन 7 मई 2015 को हरियाणा के कथित भूमि सौदों की जाँच के लिए किया गया था, जिसमे कहा गया था कि तत्कालीन हुड्डा सरकार ने सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा को लाभ पहुचाया था। इससे पहले ढींगरा आयोग के कार्यकाल को 8 दिसंबर 2015 तक 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। फिर 17 जून 2016 को सरकार ने इसका कार्यकाल 30 जून तक ले लिए बढ़ाया था।
2014 2014 मे मोदी ने किया था जेल पहुंचाने का वादा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान वाड्रा को जमीन देने का खूब जिक्र किया था और कार्रवाई कर जेल पहुंचाने भरोसा दिया था, लेकिन मोदी सरकार को आये तीन साल हो गए। एक साल पहले बनाए गए ढींगरा आयोग ने भी एक साल से अधिक का समय इस जाँच रिपोर्ट को तैयार करने में लगा दी। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि तीन साल से जब वाड्रा के खिलाफ बीजेपी सबूत होने की बात कर रही है तो जस्टिस ढींगरा आयोग बार बार वक़्त मांगकर इस जाँच में क्या ढूंढ रहा है। वाहन वाड्रा ने साफ़ कर दिया है कि उन्हें सिर्फ बदनाम करने की कोशिश कर रही है और मेरा राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है।