Store network the executives is the administration of the progression of merchandise and ventures and incorporates all procedures that change crude materials into conclusive items. It includes the dynamic streamlining of a business' stock side exerci
This is a collection of poems in which the colors mixed in the words and the bound expressions completely overwhelm the reader. These words touch different aspects of life; sometimes they tickle you and moisten your eyes. This book, Pahal, will make
Pratyek vyakti ke jeevan me ghatit bahut se satyo ka aadhar hai- Marham. Kavita aur manushya ke sanyog ko prastut karne ki chetna ki gayi hai. Yeh kitab do tarah ke logon ko samarpit hai : pehle wo, jo mehaz saans le rhe hain aur dusre wo, jo saans l
Do you aspire to have self-confidence, good relationships, health, success, peace of mind, the ability to make the right decisions in adversity, the art of understanding people, freedom from karma, spiritual growth, and an independent life? But don't
The people of the Indian subcontinent, primarily British India believed that tigers possessed supernatural powers. Much of folklore narrates tales of terrifying man-eaters. A strange aura surrounds these tales. A tiger that is born and grows up in th
अपना पेट भरने के लिए घरों की छत पर या दीवारों के कोनों में जहाँ-तहाँ अजीबोगरीब जालों का ताना-बाना बुनने वाली मकड़ियों का जीवन भी कई प्रकार के भ्रम, भ्रांतियाँ और मिथक के जाल में फंसा होता है। सच तो यह है कि पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में
Born and brought up in the lap of Garhwal Himalayas, Smt. Swarnalata Dobhal is a graduate of Garhwal University. When she got time from her daily household chores, she usually penned her thoughts in words. Through poetry writing, she has expressed he
अगर लक्ष्य निर्धारित हों, दृढ़ इच्छाशक्ति हो, सोच स्पष्ट हो तो कम संख्या के लोग भी बदलाव ला सकते हैं, किसी की जिंदगी बदल सकते हैं, भविष्य को सुधार सकते हैं। अगर आप उद्यमी हैं तो आपमें यह दृष्टि होनी चाहिए कि आपका आइडिया किस तरह की शक्ल अख्तियार करेगा
महुआ माजी का उपन्यास ‘मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ’ अपने नए विषय एवं लेखकीय सरोकारों के चलते इधर के उपन्यासों में एक उल्लेखनीय पहलक़दमी है। जब हिन्दी की मुख्यधारा के लेखक हाशिए के समाज को लेकर लगभग उदासीन हों, तब आदिवासियों की दशा, दुर्दशा और जीवन संघर्ष पर
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ़ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार
उर्मिलेश उन थोड़े से पत्रकारों में है, जिन्होंने हिन्दी पत्रकारिता का सम्मान इस कठिन और चुनौतीपूर्ण समय में बचाकर रखा है। वह पत्रकार होने के साथ निःसंदेह एक अच्छे गद्यकार- संस्मरणकार भी हैं। यह पुस्तक खोजी-पत्रकारिता का एक अलग तरह का उदाहरण है। उर्मिल
एक दुनिया जो हमारे इर्द-गिर्द होती है, जहाँ हम रहते हैं, हमारे कम्फ़र्ट ज़ोन की दुनिया और एक दुनिया उससे कहीं दूर- हमारे सपनों की दुनिया। लेकिन उस दूसरी दुनिया तक पहुँचना इतना आसान नहीं होता।वहाँ पहुँचने के लिए कुछ सीमाएँ लाँघनी पड़ती हैं,पार करने होते
भोगने की प्रक्रिया जितनी जटिल है, भोग आत्मसात करके एक दृष्टि के रूप में विकसित कर पाना उससे भी दुरूह। वर्णसंकरता और सहकारिता के विराट दर्शन में अकूत विश्वास के बावजूद कविता है तो शर्मीली-सी, कमसुखन विधा। ऊपर से आदमी भी एक क्लिष्ट जीव है-भोगे और कहे ह
मेवाड़ी विज्ञान को किस्सा गोई द्वारा अनूठे अंदाज से समझाने के लिए जाने जाते हैं। देवेंद्र मेवाड़ी ऐसे प्रयोगधर्मी लेखक माने जाते हैं जिन्हें जटिल साहित्य को सरल तरीके से प्रस्तुत करने की महारत हासिल है। वह जितना अच्छा लिखते हैं उससे अच्छा उसका मौखिक
‘मेरे क़िरदार थोड़ा इसी समाज से आते हैं, लेकिन समाज से कुछ दूरी बरतते हुए। मेरी कहानियों में ‘फ्रीक’ भी जगह पाते हैं, सनकी, लीक से हटेले और जो बरसों किसी परजीवी की तरह मेरे ज़हन में रहते हैं। जब मुकम्मल आकार प्रकार ले लेते हैं, तब ये क़िरदार मुझे विव
स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कथा जगत में अपनी धारदार कहानियों के जरिये विशिष्ट पहचान बनाने वाली कथाकार चित्रा मुद्गल ने एक जमीन अपनी सरीखे उपन्यास से जो जमीन बनाई उसे आवां जैसे वृहद उपन्यास से और पुख्ता ही किया । सामाजिक चेतना से लैस उनके पात्र समकालीन जट
अयोध्या का मतलब है, जिसे शत्रु जीत न सके। युद्ध का अर्थ हम सभी जानते हैं। योध्य का मतलब, जिससे युद्ध किया जा सके। मनुष्य उसी से युद्ध करता है, जिससे जीतने की संभावना रहती है। यानी अयोध्या के मायने हैं, जिसे जीता न जा सके। पर अयोध्या के इस मायने को बद
ये जो शब्द है, ‘माँ’ इसके दो अर्थ हो सकते हैं। दोनों अलग-अलग आयामों के अर्थ हैं। एक अर्थ ज़मीन का है और एक अर्थ आसमान का है। एक अर्थ हो सकता है माँ का वो जिससे एक दूसरा शरीर निर्मित होता है। और सामान्यतया जहाँ कहीं भी हम देखते हैं कि एक व्यक्ति के
In ancient times, ever since the Indian subcontinent collided with the landmass of Asia and the Himalayan mountain range came into existence, since then this expansion has been the abode of mysterious flora and fauna. In almost all the ancient texts