नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के के बीच चल रहे तनाव के बीच भारत जहाँ दुनियाभर के देशों को अपने पक्ष में करने की दिशा कूटनीति चल रहा है वहीँ भारत के सबसे भरोसेमंद दोस्त रूस की सेना आज संयुक्त अभ्यास के लिए पाकिस्तान पहुँच गई। कुछ दिन पहले भारतीय मीडिया ने खबर दी थी कि रूस ने इस अभ्यास को रद्द कर दिया है। रूस और पाकिस्तान की सेना के अभ्यास को जानकार कूटनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण बता रहे हैं। भारत और अमेरिका बीते समय में बेहद करीब आये हैं सैन्य अड्डों के समझौते से लेकर बीते कुछ दिनों में भारत ने अमेरिका से हथियारों के खरीद में भी बढ़ोतरी की है। यही नहीं अमेरिका के लिए भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी ने गुट निरपेक्ष देशों के सम्मलेन में बेनेजुएला जाना भी उचित नही समझा।
रूस, पाकिस्तान के नजदीक क्यों
भारत पहली बार रूस से ज्यादा अमेरिका को महत्व देता दिखाई दे रहा है। जबकि कुछ दिन पहले अमेरिका ने बताया था रूस से उसे सबसे बड़ा खतरा। यही नहीं अमेरिका रूस और चीन को अपना प्रतिद्वंधी मानता है। भारत वर्तमान समय में अपने दोस्तों में शुमार रूस और अमेरिका में किसको ज्यादा अहमियत दे यह फैसला भारत के लिए बेहद निर्णायक हो सकता है। भारत और पाकिस्तान में अगर युद्ध हुआ तो क्या अमेरिका खुलकर भारत की मदद करेगा यह अभी स्पष्ठ नही है और यह भी साफ़ है कि भारत अगर अमेरिका को अहमियत देता है तो रूस भारत से दूर जा सकता है। हालाँकि रूस हमेशा भारत का ख़ास दोस्त रहा है इसलिए वह भले खुलकर पाकिस्तान का साथ नही देगा लेकिन अमेरिका के कारण भारत की मदद भी नहीं कर पायेगा।
अमेरिका पर भरोसा करना कितना सही
चीन पाकिस्तान के पीछे खड़ा है और संयुक्त राष्ट्र में कई मौकों पर वह इसके संकेत देता रहा है। यही नही पाकिस्तान में इकनॉमिक कॉरिडोर से लेकर ग्वादर पोर्ट तक इसके उदाहरण हैं। वहीँ रूस और अमेरिका में मतभेद सीरिया से शुरू हुआ जहाँ अमेरिका ने उसकी ताकत देखी। जो काम अमेरिका नहीं कर पाया वो रूसी सेना ने कुछ ही हफ्तों में कर दिखाया। रूस सीरिया में जबरदस्त हवाई हमले कर रहा था। रूस के इस आक्रमक रुख ने पश्चिमी देशों के सैन्य विशेषज्ञों को सकते में डाल दिया है। इस लड़ाई को गौर से देख रहे पर्यवेक्षकों का मानना है कि सीरिया में पुतिन की सैन्य रणनीति के सामने ओबामा के कई फैसले नहीं टिक पाए।
ख़बरों की माने तो अमेरिका ने अपनी आक्रामक विदेश नीति के कारण दुनिया के कई देशों का विश्वास खोया। जिस कारण दुनिया के अमेरिका को छोड़ने लगे क्योंकि अमेरिका अपने हितों के लिए किसी को भी धोखा दे सकता है। इस रणनीति से पश्चिम के उसके मित्र भी वाकिफ हैं दक्षिणी अमेरिकी इसी को लेकर अमेरिका के खिलाफ अंदर ही अंदर सुलग रहे है। यही नहीं अफ्रीकी देशों में भी अमेरिका की अच्छी छवि नहीं है।