लखनऊ: भारत और पाकिस्तान के बीच निरंतर बढ़ रहे तनाव को देखते हुये भारत के हर दिल अज़ीज़ को यह ख्याल आता रहता है कि किसी सूरत से दोनों के बीच संबंध मधुर हो जाये।
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ समारोह में नवाज शरीफ को आमंत्रित करना भारतीय जनता पार्टी की प्रथम पहल थी। अचानक नवाब शरीफ के आमंत्रण पर पाकिस्तान पहुच कर उनके घर पर जाना संबंधों में सुधार की ही राह थी। प्रधान मंत्री मोदी के न शराफत बढे कदमो को पाकिस्तान के कट्टर पंथियों के साथ हिंदुस्तान के देशद्रोहियो द्वारा हीनता की नज़र से देखने के बाद विदेशो से पैसा खाने वाले मीडिया ने इसकी कड़ी आलोचनाएं शुरू कर दी। सबकी समझ मे यह आने लगा कि मोदी सरकार इस दिशा में कामयाबी हासिल कर लेगी। इन्ही मीडिया वालों ने पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठनों से संपर्क साधा और उन्हें उत्तेजित करने का काम शुरू किया। हिदुस्तान के साथ साथ पाकिस्तान के देश द्रोही भी मोदी और शरीफ के संबंधों को लेजर आवाज़ उठाने लगे भारत पर आतंकवादी हमले होने लगे जिसे बर्दाश्त करने की सीमा सप्त होने पर भेंट को सर्जीकल स्ट्राइक का सहारा लेना पड़ा। भारत की सफलता पूर्वक की गई सर्जीकल स्ट्राइक से पाकिस्तान सहित अन्य देशों की भी आंखे खुली की खुली रह गई। भारत मे बैठे देश देओहि और राष्ट्र बिरिधि ताकते सर्जीकल स्ट्राइक को झूठा साबित करने में लग गई और उसके सबूत मांगने लगी। यह काम देश को आज़ादी दिलाने में अग्रसर रही और देश पर लगभग 60 वर्ष शासन कर चुकी कांग्रेस्स पार्टी में शामिल देश द्रोही नेताओ द्वारा भी किया गया।
आज भारत और पाकिस्तान के संबंधों को मदर बनाने के लिए दोनों देशों के बीच शांति समझौता कराये जाने की पहल अमेरिका भी करने की सोच रहा है।संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निकी हेली ने कहा कि उनका देश भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है और इसलिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया में शामिल होकर इसे सुलझाने की इच्छा रखते है।
हेली ने कहा, भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित मौजूदा अमेरिकी प्रशासन इसे कम करने की दिशा में अपनी भूमिका पर विचार कर रहा है। यह भी संभव है कि राष्ट्रपति स्वयं इसमें भागीदार बनें और इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा।
ट्रंप ने 2016 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि ऐसा तभी होगा जब दोनों देश ऐसा चाहेंगे। ट्रंप ने कहा था कि "यदि भारत-पाकिस्तान चाहेंगा तो मैं मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहैगे"।
हेली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अप्रैल माह की अध्यक्षता अमेरिका द्वारा संभाले जाने के अवसर पर संवाददाता सम्मेलन में सवालों के जवाब दे रही थीं। हेली का यह बयान, भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर ट्रंप प्रशासन की ओर से पहली उच्च स्तरीय टिप्पणी है.
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी 2008 के राष्ट्रपति प्रचार अभियान के दौरान कहा था कि अमेरिका 'कश्मीर मुद्दे' पर मध्यस्थता कर सकता है. हालांकि भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और ओबामा ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी इस बात को सक्रियता के साथ आगे नहीं बढ़ाया था।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका क्या कदम उठाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मई में वाशिंगटन में ट्रंप से मुलाकात होने वाली है।उम्मीद है कि दोनों नेताओं के बीच इस मुद्दे पर विचार हो सकता है।
समझौते के अनुसार पाली शर्त यही होगी कि पाकिस्तान ओहले अपने मुल्क में उग्रवाद और आतंवाद को समाप्त कराये और आतंकवादी प्रशिक्षणों के कैम्पोबको नष्ट कराये।पाकिस्तान की ओर से जातक भारत पर आतंकी हमले पूर्ण रूप से समाप्त न हो जाए तबतक भारत को भी किसी ऐसे समझौते के लिए पहल नही करनी चाहिए।
ट्रम्प प्रशासन की पहल पर पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथियों की अनैतिक कार्यवाहियों और भारत मे बैठे देशद्रोही नेताओ के चलते यह कहा तक संभव होगा,यह कहना मुश्किल ही नही असंभव भी हैक्योकि ऐसे लोगो की रोजी रोटी ही खत्म ही जाएगी जो दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव में ही रोटियां सकते है।