नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के 15 दिनों के अंदर ही 300 अवैध कत्लखानों को बंद कर दिया गया, जबकि भाजपा शासित राज्य मप्र में पिछले 13 साल में एक भी अवैध कत्लखाने बंद नहीं कराए जा सके। सबसे महत्वपूर्ण बात मजे की बात ये है कि पशुपालन विभाग को ही नहीं मालूम कि प्रदेश में कितने अवैध कत्लखाने हैं, वहीं दूसरी तरफ वैध कत्लखानों से मप्र में मांस का उत्पादन चार साल में करीब दो गुना हो गया है। आखिर क्या मजबूरी है सीएम शिवराज सिंह चौहान की। क्यों नहीं बंद करा पाए एक भी बूचड़खाना।
मीट शॉप वाले भी चलाते हैं क़त्लखाने
पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रदेश में कई ऐसे कत्लखाने हैं, जिनकी सूची विभाग के पास नहीं है। कई मीट शॉप संचालक भी अपने स्तर पर कत्लखाने चलाते हैं, जबकि उनके पास इसका लाइसेंस नहीं है।
मानकों का नहीं होता पालन
पशु चिकित्सक डॉ. आकाश वाघमारे के मुताबिक कुछ समय पहले कत्लखानों के लिए एफएसएसएआई की ओर से लाइसेंस अनिवार्य किया गया था, लेकिन प्रदेश के ज्यादातर कत्लखानों के पास इसका लाइसेंस नहीं है। यहां मानकों का भी पालन नहीं होता है। खास तौर पर पशुओं को मारने के लिए भी आवश्यक शर्तों का पालन नहीं होता।
- अवैध बूचड़खाने बंद करने का फैसला मुख्यमंत्री ही लेंगे। -अंतर सिंह आर्य, पशुपालन मंत्री
वैध बूचड़खाने के मानक...
- कोई भी पशु बिना मेडिकल जांच के कत्लखानों में काटा नहीं जा सकता।
- कत्लखाने में साफ-सफाई की अत्याधुनिक सुविधाएं होनी चाहिए।
- मवेशी के संबंध में पूरा लेख ा-जोखा जैसे उसकी उम्र, वजन सहित फिटनेस संबंधी ब्योरा दर्ज होना जरूरी है।
- मांस के परिवहन के लिए एसी डिब्बाबंद वाहन होना अनिवार्य है।
प्रति व्यक्ति वार्षिक मांस उपलब्धता
वर्ष -- मांस उपलब्धता(ग्राम में)
2011-12 -- 537
2012-13 -- 571
2013-14 -- 623
2014-15 -- 765
2015-16 -- 873