वाशिंगटन : अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में बीते कुछ समय से इस तरह की अवधारणा जोर पकड़ने लगी है कि बाहर से आये लोगों के कारण इन देशों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रम्प इसको चुनावी मुद्दा बना रहे हैं तो ब्रिटेन अपनी लगातार कमजोर होती अर्थव्यवस्था का कारण इसे मानता है।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट की माने तो अमेरिका में इस तरह की सोच को अमेरिकी शोध संस्था 'नेशनल एकेडमीज ऑफ़ सायेंस' ने चुनौती दी है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका में प्रवासियों के योगदान से साल 2015-16 में उसकी जीडीपी में 2000 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे लोगों में सबसे बड़ी संख्या में भारतीय उद्यमी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से 2030 के बीच पूरे अमेरिका में श्रम प्रवासियों पर निर्भर रहेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प तो कई बार कह चुके हैं कि वह राष्ट्रपति बने तो प्रवासियों को अमेरिका में एंट्री नहीं होने देंगे।