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अमृत की बूँदे

8 दिसम्बर 2021

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कुछ पल चुराकर रक्खे है , 

यादों की अलमारी में

खोलती हूँ, जीती हूँ, उन पलों को,

जब थक जाती हूँ ,

इस जीवन की आपाधापी में ।

कुछ पल गुड़िया गुड्डों के ,

कुछ ऊंची ऊंची पेंगों के,

नानी दादी की कहानी के,

कुछ मां की मीठी डॉटों के,

कुछ पल वह पेड़ पर चढ़कर,

कच्चे-पक्के फल खाने के,

कुछ पल सखियों संग हसने के,

कुछ लोगों की फरियादों के ,

कुछ पल वह छुप-छुप कर तकने के,

कुछ  छुपकर ताके जाने के ,

कॉपी में बंद गुलाबों के ,

उनसे टकरा जाने के,

वह बिन बोले इजहारों के

आखों के मौन इशारे के ,

कुछ पल वह भी है समेट लिए

जिनको हम जी भी नहीं पाए,

वह कहते कहते रुक जाने के,

वह रीति रीति आखों के ,

वो लरजते लबो के थरथराने के ,

वो टूटे झूठे वादें के

वह प्यार के अधूरे एहसांसों के,

कुछ पल विदाई की बेला के ,

कुछ माँ पापा के आँसू के ,

कुछ सखियों संग ठिठोली के,

वह प्रिय मिलन के सपनों के,

कुछ प्रथम मिलन की यादों के ,

कुछ मातृत्व के एहसासों के,

सबको चुन चुन कर रक्खा हैं ,

मैंने यादों की अलमारी में ,

जब थक जाती हूं जीवन से,

फिर उनको मैं जी लेती हूँ,

ये पल नहीं अमृत बूँदें हैं

मैं वक्त बेवक्त पी लेती हूँ। 



मौलिक एंव स्वरचित


अरुणिमा दिनेश ठाकुर


रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर चित्रण

1 जनवरी 2022

Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर

30 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
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5.0
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