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मेरे पापा

12 दिसम्बर 2021

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पिता होते हैं वट वृक्ष,

जिसमें फल नहीं आते हैं ।

पर उनकी घनी शीतल छाया

ज़िंदगी की कड़ी धूप में

बहुत याद आती हैं।

जिस पर बसेरा होता है

छोटे-छोटे पक्षियों का । 

उनके जाने के बाद वीरान हो जाता है

पूरा शहर ।

वह अक्सर दिख जाते हैं

मेरी यादों में,

काले चश्मे के

बड़े से फ्रेम के उस पार से

झाँकती आँखें

जैसे सब कुछ जानते हों। 

दोनों हाथ बाँधे कुर्सी पर

पैरों को साधे बैठे

आप जैसे हो चेतना के सागर में

पूरी तरह निमग्न

हमारी हर बात पर मुस्कुराते

हौले से "हूँ" कहकर सिर हिलाते

जैसे कि दुनिया की हर मनचाही चीज

आपने कर दी हो हमारे नाम

घर के अंदर तो कभी बाहर

कभी जाड़े की ठिठुरती सर्द रात में

गाँव से, खेतों से आते

खुद ठिठुरते काँपते

पर हमें रजाई ओढ़ाते । 

गर्मी की दोपहर में तपती लू में

गमछे से मुँह बांध कर हमारे लिए

कुल्फी लाते

जैसे कि प्रण था

हमारे ख़्वाबों को कभी टूटने ना देंगे

कभी चुपके से हमे सहेजते

धीरे से समेटते 

शांत से आप

जैसे हों हमारी परेशानियों का अंत ।

जैसे हों भगवान का आर्शीवाद।




मैलिक एंव स्वरचित


✍️अरूणिमा दिनेश ठाकुर ©️

Jyoti

Jyoti

👌

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

अतिसुन्दर

30 दिसम्बर 2021

20
रचनाएँ
कुछ एहसास दिल से..
5.0
मन के भावों को कविता के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
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<p><strong>उम्र के इस पड़ाव,</strong></p> <p><strong>जीवन के इस मोड़ पर आकर</strong></p> <p><strong>

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पुरूष

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<p><br></p> <p><strong><br> </strong></p> <p><strong>मैं कौन हूँ ? </strong></p> <p><strong>मैं

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<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>कौन कहता है ?<br> <br> खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं&nbsp

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देहरी

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<p><br></p> <p><strong>जब से रिटायर्ड हुआ हूँ,</strong></p> <p><strong>अकेलेपन से रूबरू हुआ हूँ ।&nb

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<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>निकली एक रोज़ मैं ख्वाहिशों के बाज़ार में ,</strong></p> <p><

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यशोंधरा / सिद्धार्थ

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<p><br></p> <p><strong>चलिए आज यशोधरा <br> <br> और सिद्धार्थ की बात करते हैं <br> <br> सिद्धार्थ, जी

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<p><br></p> <p><strong>कलकल बहती <br> <br> नदी की जलधारा <br> <br> और साथ में थे <br> <br> धूप में च

11

मैं /नारी

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मेरा दिल, मेरा दिमाग, मेरा वजूद<br> <br> सब बटा है टुकड़ों में ।<br> <br> एक

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पापा जैसी मैं..

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> <br> </strong></p> <p><strong>आजकल अक्सर कुर्सी पर बैठकर<br> <br> पाँव ह

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. . .क्यों कहलाता है?

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मेरा किशोर वय बेटा आँखों में <br> <br> शैतानी भर कर मुझसे पूछ बैठा </str

14

मेरे पापा

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<p><br></p> <p><br></p> <p><strong>पिता होते हैं वट वृक्ष,<br> <br> जिसमें फल नहीं आते हैं । <br> <b

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साथ देना जिंदगी

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<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>जब भी मैं मायूसी के अंधेरों में <br> <br> डूब जाती हूँ।

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तुम्हारा प्यार

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<p><br></p> <p><strong>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव प

17

मेरे शिव

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<p><br></p> <p><strong>हे शिव ! मैंने "वरा" है तुम्हें,<br> <br> तुम्हारे शिवत्व के लिए ।<br> <br> न

18

डर

12 दिसम्बर 2021
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<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>पिछले साल बड़ा शोर था <br> <br> इस साल भी हैं<br> <br> बड़ा

19

तुम्हारा प्यार

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव पसारता <b

20

जीवन

12 दिसम्बर 2021
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2

<p><br></p> <p><strong>ऑफिस से थक हार कर </strong></p> <p><strong>जब शाम को घर जाता हूँ,</stron

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