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जीवन

12 दिसम्बर 2021

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ऑफिस से थक हार कर 

जब शाम को घर जाता हूँ,



मुस्कुरा देती है वह 

और मैं संवर जाता हूँ। 



जानता हूँ मृग मरीचिका 

सी हैं जिंदगी हमारी 



फिर भी पानी की तलाश

 में उधर जाता हूँ।


जूझ लेता हूँ परेशानियों से 

अक्सर अकेला सिर्फ



उसकी सवाल करती 

आँखों से डर जाता हूँ। 



जब भी वह थक कर 

मेरे काँधे पर सर रखती है 



ना जाने क्यों मैं टूट 

कर बिखर जाता हूँ। 



चाहता हूँ देना उसको 

जीवन के सुख सारे 



चादर छोटी पड़ जाती है

 पैर नहीं फैला पाता हूँ। '



उसकी मासूमियत 

दुखा देती है दिल को



बाकी गम सारे तो 

सह जाता हूँ मैं



थक गया हूँ चलते चलते,

 ना जाने जाना 



किधर है, ना जाने 

किधर जाता हूँ। 








Jyoti

Jyoti

👍👍

31 दिसम्बर 2021

Anita Singh

Anita Singh

बढ़िया कविता

30 दिसम्बर 2021

20
रचनाएँ
कुछ एहसास दिल से..
5.0
मन के भावों को कविता के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
1

हृदय की लेखनी से.....

8 दिसम्बर 2021
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<p><strong>माँ धरती का रूप,<br> पिता आकाश हुआ करता है ।</strong></p> <p><strong>माँ आस्था की धूप ,<b

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जीवन का गणित

8 दिसम्बर 2021
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5

<p><strong>उम्र के इस पड़ाव,</strong></p> <p><strong>जीवन के इस मोड़ पर आकर</strong></p> <p><strong>

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अमृत की बूँदे

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><br></p> <p><br></p> <p><strong>कुछ पल चुराकर रक्खे है , </strong></p> <p><stron

4

ऐ सुनों. ...

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>ऐ सुनों. . . .<br> <br> ऐ सुनो मुझे कुछ कहना है . . .</strong></p> <p><strong

5

पुरूष

8 दिसम्बर 2021
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2

<p><br></p> <p><strong><br> </strong></p> <p><strong>मैं कौन हूँ ? </strong></p> <p><strong>मैं

6

जीवन पथ

8 दिसम्बर 2021
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2

<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>कौन कहता है ?<br> <br> खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं&nbsp

7

देहरी

8 दिसम्बर 2021
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2

<p><br></p> <p><strong>जब से रिटायर्ड हुआ हूँ,</strong></p> <p><strong>अकेलेपन से रूबरू हुआ हूँ ।&nb

8

ख्वाहिशों के बाज़ार में.

8 दिसम्बर 2021
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1

<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>निकली एक रोज़ मैं ख्वाहिशों के बाज़ार में ,</strong></p> <p><

9

यशोंधरा / सिद्धार्थ

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>चलिए आज यशोधरा <br> <br> और सिद्धार्थ की बात करते हैं <br> <br> सिद्धार्थ, जी

10

नदी, पत्थर और सपने

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>कलकल बहती <br> <br> नदी की जलधारा <br> <br> और साथ में थे <br> <br> धूप में च

11

मैं /नारी

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मेरा दिल, मेरा दिमाग, मेरा वजूद<br> <br> सब बटा है टुकड़ों में ।<br> <br> एक

12

पापा जैसी मैं..

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> <br> </strong></p> <p><strong>आजकल अक्सर कुर्सी पर बैठकर<br> <br> पाँव ह

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. . .क्यों कहलाता है?

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मेरा किशोर वय बेटा आँखों में <br> <br> शैतानी भर कर मुझसे पूछ बैठा </str

14

मेरे पापा

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><br></p> <p><strong>पिता होते हैं वट वृक्ष,<br> <br> जिसमें फल नहीं आते हैं । <br> <b

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साथ देना जिंदगी

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>जब भी मैं मायूसी के अंधेरों में <br> <br> डूब जाती हूँ।

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तुम्हारा प्यार

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव प

17

मेरे शिव

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>हे शिव ! मैंने "वरा" है तुम्हें,<br> <br> तुम्हारे शिवत्व के लिए ।<br> <br> न

18

डर

12 दिसम्बर 2021
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2

<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>पिछले साल बड़ा शोर था <br> <br> इस साल भी हैं<br> <br> बड़ा

19

तुम्हारा प्यार

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव पसारता <b

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जीवन

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>ऑफिस से थक हार कर </strong></p> <p><strong>जब शाम को घर जाता हूँ,</stron

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