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हृदय की लेखनी से.....

8 दिसम्बर 2021

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माँ धरती का रूप,
पिता आकाश हुआ करता है ।

माँ आस्था की धूप ,
पिता विश्वास हुआ करता है ।

माँ के उपकारों का कोई
मोल चुका ना पाया l

और पिता की कठिन साधना
कोई समझ ना पाया I

माँ है अक्षर शब्द,
पिता आख्यान हुआ करता है।

माँ गीता का पाठ,
पिता व्याख्यान हुआ करता है।

सतत अभावों पीड़ाओं में
मर्यादित रहता है ।

सुत हित गृह सुख त्याग,
पिता निर्वासन दुख सहता है I

माँ पावन अनुभूति ,
पिता अस्तित्व हुआ करता है ।

माँ है सहज प्रतीत ,
पिता व्यक्तित्व हुआ करता है ।

कैसा भी हो पुत्र ,
पिता के उर में रहा समाया ।

पिता मगन मन देखा करता ,
सुत में अपनी छाया I

पाकर सुत सानिध्य, पिता
धनवान हुआ करता है ।

माँ है श्रद्धा भक्ति ,
पिता भगवान हुआ करता है I

जीवन की अटपट राहों पर
उंगली पकड़ चलाता I

उन्नति के उन्नत शिखरों पर
बाहें थाम चढ़ाता I

सुत माँ का दृग बिंदु,
पिता का उर बन्धु हुआ करता है।

माँ की ममता और
पिता की समता कहीं नहीं है।

मात -पिता से बढ़कर
जग की कोई छाँव नहीं है I

माँ शीतल चंद्रिका,
पिता दिनमान हुआ करता है ।

माँ वंशी की तान
पिता घनश्याम हुआ करता है।

माँ धरती का रूप,
पिता आकाश हुआ करता है ।

मौलिक एंव स्वरचित

अरुणिमा दिनेश ठाकुर ✍️

पढ़ने के लिए आभार

Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर भाव

30 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर 👌 👌 👌

17 दिसम्बर 2021

Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

बहुत सुन्दर आदरणीया 🙏🏻 🌹 🙏🏻 सादर 🙏🏻 🌹 🙏🏻

11 दिसम्बर 2021

20
रचनाएँ
कुछ एहसास दिल से..
5.0
मन के भावों को कविता के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
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हृदय की लेखनी से.....

8 दिसम्बर 2021
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<p><strong>माँ धरती का रूप,<br> पिता आकाश हुआ करता है ।</strong></p> <p><strong>माँ आस्था की धूप ,<b

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जीवन का गणित

8 दिसम्बर 2021
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<p><strong>उम्र के इस पड़ाव,</strong></p> <p><strong>जीवन के इस मोड़ पर आकर</strong></p> <p><strong>

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अमृत की बूँदे

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><br></p> <p><br></p> <p><strong>कुछ पल चुराकर रक्खे है , </strong></p> <p><stron

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ऐ सुनों. ...

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>ऐ सुनों. . . .<br> <br> ऐ सुनो मुझे कुछ कहना है . . .</strong></p> <p><strong

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पुरूष

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> </strong></p> <p><strong>मैं कौन हूँ ? </strong></p> <p><strong>मैं

6

जीवन पथ

8 दिसम्बर 2021
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2
2

<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>कौन कहता है ?<br> <br> खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं&nbsp

7

देहरी

8 दिसम्बर 2021
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2

<p><br></p> <p><strong>जब से रिटायर्ड हुआ हूँ,</strong></p> <p><strong>अकेलेपन से रूबरू हुआ हूँ ।&nb

8

ख्वाहिशों के बाज़ार में.

8 दिसम्बर 2021
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1

<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>निकली एक रोज़ मैं ख्वाहिशों के बाज़ार में ,</strong></p> <p><

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यशोंधरा / सिद्धार्थ

8 दिसम्बर 2021
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2

<p><br></p> <p><strong>चलिए आज यशोधरा <br> <br> और सिद्धार्थ की बात करते हैं <br> <br> सिद्धार्थ, जी

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नदी, पत्थर और सपने

8 दिसम्बर 2021
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1

<p><br></p> <p><strong>कलकल बहती <br> <br> नदी की जलधारा <br> <br> और साथ में थे <br> <br> धूप में च

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मैं /नारी

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मेरा दिल, मेरा दिमाग, मेरा वजूद<br> <br> सब बटा है टुकड़ों में ।<br> <br> एक

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पापा जैसी मैं..

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> <br> </strong></p> <p><strong>आजकल अक्सर कुर्सी पर बैठकर<br> <br> पाँव ह

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. . .क्यों कहलाता है?

12 दिसम्बर 2021
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1

<p><br></p> <p><strong>मेरा किशोर वय बेटा आँखों में <br> <br> शैतानी भर कर मुझसे पूछ बैठा </str

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मेरे पापा

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><br></p> <p><strong>पिता होते हैं वट वृक्ष,<br> <br> जिसमें फल नहीं आते हैं । <br> <b

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साथ देना जिंदगी

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>जब भी मैं मायूसी के अंधेरों में <br> <br> डूब जाती हूँ।

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तुम्हारा प्यार

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव प

17

मेरे शिव

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>हे शिव ! मैंने "वरा" है तुम्हें,<br> <br> तुम्हारे शिवत्व के लिए ।<br> <br> न

18

डर

12 दिसम्बर 2021
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<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>पिछले साल बड़ा शोर था <br> <br> इस साल भी हैं<br> <br> बड़ा

19

तुम्हारा प्यार

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव पसारता <b

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जीवन

12 दिसम्बर 2021
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2

<p><br></p> <p><strong>ऑफिस से थक हार कर </strong></p> <p><strong>जब शाम को घर जाता हूँ,</stron

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