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जीवन का गणित

8 दिसम्बर 2021

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उम्र के इस पड़ाव,

जीवन के इस मोड़ पर आकर

जीवन का गणित उलझ सा गया है I

परेशानी क्या है ?.

सीधा सा जोड़ घटाव ही तो है ।

पर फिर भी समझ नहीं आ रहा है I

जिस दिन से शादी हुई है ,

आपने सिर्फ ऐड ( जोड़ )  ही किया I

मुझे अपनी जिंदगी में,

अपने परिवार में,

अपनी खुशियों में, अपने सपनों में I

अपने फैसलों में, अपने हौसलों में ।

अपनी जिम्मेदारियों में,

यहां तक कि अपने बैंक में,

अपनी जायदाद में,

आपने तो अपने नाम तक को भी

मेरे साथ साझा किया।

और मेरे हिस्से में सिर्फ घटाव आया I

दुनिया मुझे दुनियादारी सिखाने लगी l

सरकार मुझे नियम समझाने लगी।

आपके जाने के बाद मानो,

सब हाथ धोकर पीछे पड़ गयें I

आंसू तो कभी सूखे नहीं ,

पर हजारों काम गले पड गयें।

वाहन अपने नाम पर करवा लो,

बैंक अकाउंट में अपना नाम डलवा लो,

प्रॉपर्टीज जायदाद के पेपर संभाल कर रखो,

सब कुछ अपने नाम करवा लो ।

यहां तक कि बेटे के रिपोर्ट कार्ड

पर भी हस्ताक्षर मैंने किए I

हे भगवान यह घटाव

मेरे हिस्से में ही क्यों ?

मुझे क्यों ? क्यों ? क्यों ?

हर जगह से आपको हटाना पड़ रहा है l

हर जगह मेरा नाम डलवाना पड़ रहा हैं।

पता नहीं क्यों पर मुझे लगता हैं

अक्सर आप मुझसे सवाल करते हों ..

डार्लिंग मैंने तो तुम्हें हर क्षण

अपनी जिन्दगी से जोड़ा. . .

और आज जब तुम्हारी बारी हैं,

तो क्यों मेरा नाम हर जगह से हटा रहीं हों ?

किश्तों में ही सहीं क्या अपने जीवन से

अपनी यादों से भी मिटा रहीं हों ?

पति के जाने के बाद महिलाओं को इस पीड़ा से गुजरना पड़ता हैं। मैंने अपनी कविता का माध्यम से उनकी पीड़ा को आपके समक्ष पहुँचाने का प्रयास किया हैं।

मौलिक एंव स्वरचित

अरूणिमा दिनेश ठाकुर
पढ़ने के लिए आपका आभार

भारती

भारती

मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है आपने

27 मार्च 2022

कविता रावत

कविता रावत

सच बड़ी विडंबना है जिंदगी की ये मर्मस्पर्शी प्रस्तुति

31 जनवरी 2022

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बहुत सुन्दर प्रयास आदरणीया 🙏🏻 🌹 🙏🏻

1 जनवरी 2022

Anita Singh

Anita Singh

बहुत ही हृदयस्पर्शी लिखा है ,ये जुड़वा - घटाव ही तो जीवन है अरुणिमा जी ,आगे बढ़ना ही होता हैं ,न चाहते हुए ही. .....सुन्दर भाव

30 दिसम्बर 2021

Radha Shree Sharma

Radha Shree Sharma

बहुत खूब 👌 👌 👌 सादर 🙏🏻 🌹 🙏🏻

11 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
कुछ एहसास दिल से..
5.0
मन के भावों को कविता के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
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हृदय की लेखनी से.....

8 दिसम्बर 2021
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<p><strong>माँ धरती का रूप,<br> पिता आकाश हुआ करता है ।</strong></p> <p><strong>माँ आस्था की धूप ,<b

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जीवन का गणित

8 दिसम्बर 2021
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<p><strong>उम्र के इस पड़ाव,</strong></p> <p><strong>जीवन के इस मोड़ पर आकर</strong></p> <p><strong>

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अमृत की बूँदे

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><br></p> <p><br></p> <p><strong>कुछ पल चुराकर रक्खे है , </strong></p> <p><stron

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ऐ सुनों. ...

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>ऐ सुनों. . . .<br> <br> ऐ सुनो मुझे कुछ कहना है . . .</strong></p> <p><strong

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पुरूष

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> </strong></p> <p><strong>मैं कौन हूँ ? </strong></p> <p><strong>मैं

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जीवन पथ

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>कौन कहता है ?<br> <br> खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं&nbsp

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देहरी

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>जब से रिटायर्ड हुआ हूँ,</strong></p> <p><strong>अकेलेपन से रूबरू हुआ हूँ ।&nb

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ख्वाहिशों के बाज़ार में.

8 दिसम्बर 2021
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<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>निकली एक रोज़ मैं ख्वाहिशों के बाज़ार में ,</strong></p> <p><

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यशोंधरा / सिद्धार्थ

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>चलिए आज यशोधरा <br> <br> और सिद्धार्थ की बात करते हैं <br> <br> सिद्धार्थ, जी

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नदी, पत्थर और सपने

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>कलकल बहती <br> <br> नदी की जलधारा <br> <br> और साथ में थे <br> <br> धूप में च

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मैं /नारी

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मेरा दिल, मेरा दिमाग, मेरा वजूद<br> <br> सब बटा है टुकड़ों में ।<br> <br> एक

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पापा जैसी मैं..

8 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> <br> </strong></p> <p><strong>आजकल अक्सर कुर्सी पर बैठकर<br> <br> पाँव ह

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. . .क्यों कहलाता है?

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मेरा किशोर वय बेटा आँखों में <br> <br> शैतानी भर कर मुझसे पूछ बैठा </str

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मेरे पापा

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><br></p> <p><strong>पिता होते हैं वट वृक्ष,<br> <br> जिसमें फल नहीं आते हैं । <br> <b

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साथ देना जिंदगी

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong><br> </strong><strong>जब भी मैं मायूसी के अंधेरों में <br> <br> डूब जाती हूँ।

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तुम्हारा प्यार

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव प

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मेरे शिव

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>हे शिव ! मैंने "वरा" है तुम्हें,<br> <br> तुम्हारे शिवत्व के लिए ।<br> <br> न

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डर

12 दिसम्बर 2021
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<p><strong><br> </strong></p> <p><strong>पिछले साल बड़ा शोर था <br> <br> इस साल भी हैं<br> <br> बड़ा

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तुम्हारा प्यार

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>मन के समंदर में <br> <br> हिलोरें मारता<br> <br> उफनता सिमटता<br> <br> पांव पसारता <b

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जीवन

12 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p><strong>ऑफिस से थक हार कर </strong></p> <p><strong>जब शाम को घर जाता हूँ,</stron

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