यह कहानी एक बेटी की है।जो कम पढ़ी-लिखी है। दुनिया के ताने लगातार उसे कमजोर करते हैं।पर उसने हिम्मत नहीं हारी। और किस तरह से वे अनपढ़, गंवार एक अन्नपूर्णा बनती है यह दिखाया गया है
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भाग - १। बचपन मीटी के आंगन में,सोने की चिड़िया सी बेटी वो घर की, (पर) किरदार में मां सी सुबह के पांच बजे थे। चिड़िया गुनगुना रही थी। शीतल हवाऐ न जाने लोगों में कोनसी उमंगे भर रही थी।