नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की दरें तय करने के बाद देश की तमाम टेलीकॉम कंपनियां अपने कॉल रेट बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। जिसके बाद लोगों को कॉल करना महंगा पड़ सकता है। कर्जे में डूबी टेलीकॉम कंपनियों के लिए यह बेहद मुश्किल का समय है कि वह अपने ग्राहकों को कैसे अपने पाले में बनाये रखें।
वर्तमान में टेलीकॉम सेवाओं पर 15 प्रतिशत का टैक्स लग रहा है। सरकार ने जीएसटी की चार दरें 5%, 12%, 18%, 28% तय की हैं। जिसमे टेलीकॉम इंडस्ट्री पर टैक्स 18 प्रतिशत लगेगा। इन बढ़ी दरों के बाद मोबाइल कॉल रेट में 3 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी। उदाहरण के लिए जिसका मासिक मोबाइल बिल 1000 रूपये आता है वह अब 30 रूपये और बढ़ जायेगा।
टेलीकॉम सेक्टर पर जीएसटी की नई दरों के बाद दूसरी ओर से भी बोझ बढ़ गया है। क्योंकि जीएसटी के नए रेट में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों पर भी असर पड़ेगा। बता दें कि वर्तमान में रेलवे के बाद टेलीकॉम सेक्टर ही सबसे ज्यादा डीजल खरीदता है।
कॉल ड्राप के मामले में टेलीकॉम कंपनियों की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि (ट्राई) का कहना है कि हम हर दिन 250 करोड़ रुपए कमा रहे हैं लेकिन इसमें जिस बात का जिक्र नहीं है वह यह कि हम पर भारी कर्ज बोझ है।
उन्होंने कहा हमें कर्ज के रूप में 3.8 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज चुकाना है। हम 45,000 करोड़ रुपए में स्पेक्ट्रम खरीद रहे हैं जबकि पहले यह 1658 करोड़ रुपए में मिलता था। उन्होंने कहा, हम कुछ भी हासिल नहीं कर रहे हैं और हमारी प्रतिफल की दर साल के आखिर में एक फीसदी से कम है।