अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है,
जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंजर होता है,
घाव तो इतना गहरा देते हैं जितना की समुंदर भी नहीं होता है,
फिर भी मुस्कुराकर जो विपरीत धाराओं का रुख मोड़ दे वही तो सिकंदर होता है,
21 अक्टूबर 2021
अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है,
जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंजर होता है,
घाव तो इतना गहरा देते हैं जितना की समुंदर भी नहीं होता है,
फिर भी मुस्कुराकर जो विपरीत धाराओं का रुख मोड़ दे वही तो सिकंदर होता है,