यहां तो बिना अप्रैल फूल के ही हमसे भद्दा मजाक कर जाते हैं,
दूसरों की बेशर्माई का सेहरा हमें जबरदस्ती पहना जाते हैं,
जिन्हे देखकर अपना रास्ता बदल लेते थे ऐसे लोग भी हम पर छेड़छाड़ का आरोप लगा जाते हैं,
आत्मविश्वास की अति तब उजागर होती है जब शिकायत के लिए मेरे पिता का नाम भी पूछे जाते है,
ऐसे लोगों के साथ क्या करें जो अपने ही गुरुर में मस्त सच्चाई को नहीं देख पाते हैं,