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अपनी 12वीं कक्षा की क्लासमेट के लिए

21 अक्टूबर 2021

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हाल तो बेहाल,

जीना तो एकदम मुहाल है,

क्योंकि हमारे ऊपर निराधार आरोपों का एक जाल है,

हमें भी नहीं पता कहां से आया ये बवाल है,

उसने भी हमें नहीं बताया शायद उसका उद्देश्य ही गोलमाल है,

इसलिए मेरा चेहरा अब गुस्से से एकदम लाल है,

उसने मेरा कोई लिहाज नहीं रखा इस बात का भी मुझे मलाल है,

गलतफहमियां तो इस कदर हैं उनके अंदर कि मेरा चरित्र ही उनकी समस्या का सवाल है,

ऐसा लगता है कि भरोसे का पायदान उनके लिए चीन का मॉल है,

बीते जीवन में जिन्हे कभी पलट कर नहीं देखा उनको लगता है की उनका आकर्षण मेरे लिए धमाल है,

एक बात याद रखना सत्य प्रताड़ित हो सकता, लेकिन पराजित नहीं इस दुनिया में यही एक तो कमाल है,

बस यही सोचकर ही हम निहाल हैं।

Pragya pandey

Pragya pandey

सुंदर रचना 👌👌

21 अक्टूबर 2021

Sailesh Patel

Sailesh Patel

21 अक्टूबर 2021

ये सच्ची घटना है मेरी क्लासमेट ने अतिआत्मविस्वास से ओतप्रोत होकर मेरे साथ ज्यादती की थी तभी लिखे थे हालांकि बाद में उन्हें पछतावा बहुत हो रहा था घर पर आने के लिए रिक्वेस्ट भी कर रही थी लेकिन जहां विश्वास नाम की कोई चीज न हो वहां जाना ही बेकार है इसलिए साथ छोड़ दिए फिलहाल आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार

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रचनाएँ
मेरी जिंदगी के कुछ सच्चे अल्फाज
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अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है, जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंजर होता है, घाव तो इतना गहरा देते हैं जितना की समुंदर भी नहीं होता है, फिर भी मुस्कुराकर जो विपरीत धाराओं का रुख मोड़ दे वही तो सिकंदर होता है,
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अपनों के लिए

21 अक्टूबर 2021
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<p>अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है,</p> <p>जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंज

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अपनी 12वीं कक्षा की क्लासमेट के लिए

21 अक्टूबर 2021
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<p>हाल तो बेहाल,</p> <p>जीना तो एकदम मुहाल है,</p> <p>क्योंकि हमारे ऊपर निराधार आरोपों का एक जाल है,

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21 अक्टूबर 2021
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26 अक्टूबर 2021
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