देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड पर 45000 करोड़ का कर्ज़ है. एक ओर कंगाली के द्वार पर खड़ा उत्तराखण्ड तो दूसरी ओर 73 फ़ीसदी करोड़पति विधायक. यानी प्रदेश भले ही डूबता चला जाए लेकिन राजनेताओं की मालीहालत दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है. देवभूमि की चौथी विधानसभा में 73 फ़ीसदी विधायक करोड़पति हैं. वह भी तब जब सूबे के नए मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद इस बात को मान रहे हैं कि सूबे के आर्थिक हालात बेहद नाज़ुक हैं. अरबों के कर्ज़ में डूबा उत्तराखणड हर रोज़ कर्ज़ के दलदल में धसता चला जा रहा है लेकिन यहां के राजनीति ज्ञों की मिल्कियत में 700 गुना घोषित वृद्धि हो जाती है यह सवाल हर किसी के लिए किसी अबूझ पहेली की तरह है. इनमें भी 14 फ़ीसदी विधायकों की संपत्ति पांच करोड़ रुपये से ज्यादा है. 2012 की तुलना में देखें तो इस बार विधानसभा पहुंचे सदस्य आर्थिक रूप से ज्यादा समृद्ध हैं. 2012 में जहां 70 विधायकों की औसत संपत्ति 1.86 करोड़ की थी, वहीं इस बार यह आंकड़ा 4.11 करोड़ पहुंच गया है. राज्य में सबसे ज्यादा संपति चौबट्टाखाल से विधायक चुने गए सतपाल महाराज के पास है.
पांच साल में 48 फीसद औसत वृद्धि
दोबारा चुनाव मैदान में उतरे और जीतने वाले कुल 32 विधायक हैं. इनकी संपत्ति में औसत 48 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई. सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक की संपत्ति में 78 फ़ीसदी की औसत वृद्धि हुई तो भाजपा के विधायकों की संपत्ति में 41 फ़ीसदी और निर्दलीय की संपत्ति में 71 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. 2012 में इन 32 विधायकों की औसत संपत्ति 2.37 करोड़ की थी, जो 2017 में 3.51 करोड़ की हो गई. औसतन 1.13 करोड़ रुपये की औसत वृद्धि दर्ज की गई।
31 फ़ीसदी पर आपराधिक मामले
देवभूमि उत्तराखण्ड के 70 विधायकों में से 22 के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिनमें से 14 विधायकों पर गंभीर श्रेणी के आपराधिक मामले दर्ज हैं. 2012 के चुनाव की बात करें तो यह आंकड़ा क्रमश: 27 और सात फ़ीसदी था. अपने शपथ पत्रों में दो विधायकों ने हत्या और हत्या से संबधित मामले घोषित किए हैं. दलवार स्थिति देखें तो भाजपा के 17 विधायकों पर मामले दर्ज हैं, इनमें से 10 गंभीर श्रेणी के मामलों वाले हैं. कांग्रेस के 11 में से चार विधायकों पर और एक निर्दलीय विधायक पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. कांग्रेस के तीन विधायकों और एक निर्दलीय विधायक ने भी गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं हालांकि बावजूद इन सबके किसी भी दल को इनसे कोई गुरेज नहीं.
हरीश रावत की संपत्ति में 763 फ़ीसदी वृद्धि
2012 और 2017 के शपथ पत्रों के मुताबिक दोबारा चुनाव मैदान में उतरे 32 विधायकों में से 28 की संपत्ति में वृद्धि हुई. सर्वाधिक वृद्धि पूर्व सीएम हरीश रावत की संपत्ति में दर्ज की गई. उनकी संपत्ति में कुल 763 फ़ीसदी वृद्धि हुई. इसके बाद दूसरे स्थान पर इस बार हरीश रावत को करारी मात देने वाले विधायक यतीश्वरानंद रहे. उनकी संपत्ति में 668 फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
-राज्य की विधानसभा में केवल 07 फ़ीसदी महिला प्रतिनिधित्व
-सबसे कम आयु के विधायक विनोद कंडारी(35 वर्ष)
-77 फ़ीसदी विधायक उच्च शिक्षित
-53 फ़ीसदी विधायक 51 से 80 वर्ष आयु वर्ग के
-सबसे अधिक आयु की विधायक इंदिरा हृदयेश(75 वर्ष)
-26 फ़ीसदी आठवीं से 12वीं तक शिक्षा प्राप्त
-46 फ़ीसदी विधायक 30 से 50 वर्ष आयु वर्ग के