... अगर यही टीना डाबी, अतहर या जसमीत इसी काबिलियत के साथ प्राइवेट सेक्टर की टीसीएस, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट में जाते तो क्या होता, जरा कल्पना कीजिये! निश्चित रूप से वहां भी उनको बड़ी पोजिशन मिलती, आईएएस की नौकरी से ज्यादा पैसा भी मिलता (सीधे रास्ते वाला पैसा), किन्तु वहां परफॉर्मेंस की नापजोख साल-दर-साल, छमाही-दर-छमाही और क्वार्टर-दर-क्वार्टर की जाती और अगर इसमें सुधार नहीं दिखता तो 'नौकरी' पर खतरा मंडराने लगता! शायद यही वजह है कि पब्लिक सेक्टर की कंपनियां डूब जाती हैं, सरकारी बैंकों का 'एनपीए' बढ़ जाता है, उनको सब्सिडी देना पड़ता है ज़िंदा रखने के लिए, तो प्राइवेट सेक्टर एक के बाद दूसरा मुकाम छूने लगता है. 'विशिष्ट रोग' से ग्रसित 'आईएएस लॉबी' को यह समझना होगा कि उनके 'यूपीएससी सिलेक्शन' के बाद भी उन्हें परफॉर्म करना चाहिए, अन्यथा जनता के द्वारा दिया गया 'टैक्स' ही बर्बाद होता है.
खबरों के अनुसार, मोदी सरकार भी तमाम 'नौकरशाहों' के परफॉर्म न कर पाने की वजह से परेशान है और अपने दो साल के कार्यकाल में ही 72 बाबुओं को बर्खास्त कर दिया है. वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले दो वर्षों के दौरान ...
... Read this full article here >> http://editorial.mithilesh2020.com/2016/05/upsc-toppers-2015-bureaucracy-in-india.html ]
UPSC Toppers 2015, Bureaucracy in India, Hindi Article, Mithilesh