सिडनी : भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की ऑस्ट्रेलिया स्थित 21.7 अरब डॉलर की कोल माइन परियोजना में रुकावट के पीछे क्या सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के पर्यावरण संगठन थे या कोई और भी था। इस बात का खुलासा विकीलीक्स ने कुछ सीक्रेट ई-मेल के जरिये किया है। विकीलीक्स ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि अडानी को यहाँ प्रोजेक्ट शुरू करने से रोकने में ऑस्ट्रेलिया के पर्यावरणीय संगठन का हाथ था जिसे कि अमेरिका 'सैंडलर फाउंडेशन' फंड करता है। यह खुलासा अमेरिका में हिलेरी कैम्पैन के चेयरमैन जॉन पोडेस्टा के ईमेल से पता चला।
विकीलीक्स ने बताया कि यह एक अमेरिका आधारित संस्था 'सैंडलर फाउंडेशन' के इशारों पर हो रहा था। यह ग्रुप ऑस्ट्रेलिया के एक पर्यावरणीय ग्रुप को फंड करता है। यह ऑस्ट्रेलिया में प्रोजेक्ट के तहत लोगों को वित्तीय सहायता और स्कालरशिप भी देता है।
ग्रुप ने वहां के लोगों को पर्यावरण और पारंपरिक जमीन के नाम पर अडानी के कोल प्रोजेक्ट का विरोध करने के लिए कहा। गौरतलब है कि भारतीय खनन कंपनी अडाणी इंटरप्राइजेज ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड राज्य में जल्द ही कार्मिकेल कोयला परियोजना शुरू करने जा रही है।
कंपनी का कहना है कि वह साल 2017 में इस पर काम शुरू कर देगी। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की संघीय अदालत ने ऑस्ट्रेलियन कंजर्वेशन फाउंडेशन की अपील को खारिज कर दिया। फाउंडेशन ने अपनी अपील में तर्क दिया था कि कोयले के जलने से आस्ट्रेलिया की प्रख्यात विशाल मूंगे की चट्टान 'ग्रेट बैरियर रीफ' पर पडऩे वाले प्रभाव एवं जलवायु प्रदूषण पर अधिकारियों ने ध्यान ही नहीं दिया।