नई दिल्ली : यूपी में पापा मुलायम और चाचा शिवपाल अब सीएम अखिलेश को मानाने में लगे हैं. इसी के चलते चाचा शिवपाल ने शुक्रवार से अपने भतीजे को सीएम बनाने का ऐलान कर रहे हैं. यही नहीं तीर कमान से निकलता देखकर स्टाम्प पेपर तक पर मीडिया वालों को लिखकर देने का ऐलान करने की बात कर रहे है.
यूपी की राजनीति में सन्डे-मंडे का दिन ऐतिहासिक
सूत्रों के मुताबिक यूपी की राजनीति में रविवार का दिन बहुत ऐतिहासिक होने वाला है. जिसके चलते मुलायम सिंह को अपने करीबियों की बैठक अपने आवास पर बुलानी पड़ गयी है. बताया जाता है कि रविवार और सोमवार यानि 23 और 24 अक्टूबर का दिन उत्तर प्रद्रेश के राजनीतिक इतिहास में काफी अहम होने वाला है. 23 तारीख को सूबे के मुख्यमंत्री बगावत का बिगुल फूंक देंगे....और अगले दिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा फैसला सुना देंगे. यूपी राजनीतिक हालात कुछ ऐसा ही इशारा अब कर रहे हैं.
सपा में डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज
फिलहाल डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज हो गईं हैं. मुलायम के आवास पर पार्टी के वरिष्ठï नेताओं की अहम बैठक चल रही है. इस बैठक में रेवती रमण सिंह, बेनी पसाद वर्मा, किरणमोय नंदा, नरेश अगवाल और शिवपाल यादव शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक चाचा और भतीजा के बीच शुरु हुई यह जंग अब साफतौर पर पिता और पुत्र में तब्दील हो चुकी है. अखिलेश यादव मुलायम की राजनीतिक विरासत के सर्वप्रमुख उत्तराधिकारी होने की मंशा रखते हैं, लेकिन मुलायम की सोच सारी कमान अब भी अपने हाथ में रखने की है.
मुलायम की सोच आडवाणी वाली
मुलायम की सोच बीजेपी के भीष्मपितामाह कहे जाने वाले उन लालकृष्ण आडवाणी की तरह है जो संगइन को सर्वोपरि मानते हैं, लेकिन अखिलेश की सोच मोदी सरीखी है, जिसमें व्यक्ति और उसका काम सर्वोपरि है.
कुल मिलाकर विवाद राजनीतिक विरासत के साथ-साथ दो पीढ़ी के बीच वैचारिक मतभेद का भी है. अखिलेश यादव को एहसास है कि गुजरात मॉडल की तरह वह भी यूपी को पूरे देश में एक मॉडल बनाकर प्रस्तुत कर सकते हैं. चूंकि अखिलेश का सर्वमान्य व्यक्तित्व है सो जाहिर है इसके पीछे उनकी मंशा राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने और सुप्रीम कुर्सी पर बैठने की है.
मुलायम से पहले अखिलेश की बैठक
24 अक्टूबर को पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपने आवास पर सभी एमएलए और एमएलसी की बैठक बुलाई है. इससे पहले सीएम अखिलेश यादव ने इन लोगों को 23 अक्टूबर को मीटिंग के लिए बुला लिया है. इस प्रक्रिया को दोनों के बीच शक्तिपरीक्षण के तौर पर देखा जा रहा है. मुलायम अपने 5 नवंबर को होने वाले स्थापना दिवस समारोह को ऐतिहासिक सफल बनाना चाहते हैं तो दूसरी ओर अखिलेश इससे पहले 3 नवंबर को ही विकास रथ यात्रा लेकर निकल रहे हैं और सभी एमएलए, एमएलसी को उसमें जुटने का निर्देश देंगे. बहरहाल पिता मुलायम अपने रजत जयंती समारोह के जरिये जलवा बरकरार रहने की कहानी दोहराना चाहते हैं तो पुत्र अखिलेश अब अपने बलबूते एक नई पारी कि शुरुआत करना चाहते हैं.