नई दिल्ली : साल 2019 में देश का पीएम बनने का सपना देख रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का सपना कहीं एक नींद में आया हुआ ख्वाब ही बनकर न रह जाये. दरअसल मुलायम ने जिस तैयारी को लेकर पार्टी में अपने पुराने साथियों की वापसी कराई थी. उसमें अभी से दर्रे पड़ती दिखाई दे रहीं हैं. जिसके चलते साल 2019 का लोक सभा चुनाव तो दूर अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव ही सपा यूपी में जीत ले वही बहुत है.
अमर और जया की वापसी से आज़म के जख्म हुए गहरे
दरअसल पार्टी में मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वाले सरकार के कद्दावर नेता आज़म खान और अमर सिंह के बीच जयाप्रदा को लेकर पिछले कई सालों से चल रही लड़ाई के जख्म एक बार फिर से गहरा गए है. बताया जाता है कि पार्टी में अमर सिंह और जयाप्रदा की वापसी होते ही आज़म खान के सुर बदल गए हैं. और वह रोजाना कोई न कोई नया बयान देकर मुलायम की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. लेकिन इस बार नचनिया को MP की बात कहकर उन्होंने पार्टी के अनुशासन की भी हद पर कर दी है.
क्या आज़म की जुबान पर लगेगा मुलायम का ताला ?
सूत्रों के मुताबिक इससे पहले अपने गृह जनपद में उन्होंने सपा को डूबता हुआ जहाज बोलकर पार्टी के लिए चुनाव के ऐंन वक्त पर बड़ी मुश्किल कड़ी कर दी थी,जिसको लेकर मुलायम ने हस्तक्षेप कर उन्हें किसी तरह शांत करा दिया था. लेकिन इस बार उन्होंने जो बयान दिया है. उसको लेकर मुलायम सिंह उनसे काफी नाराज हो गए हैं. बताया जाता है कि मुलायम सिंह ने अपनी मंशा पूरी करने के लिए ही पार्टी में अपने सबसे पुराने साथी बेनी प्रसाद वर्मा, आज़म खान, अमर सिंह और जयाप्रदा की वापसी कराई थी. लेकिन आज़म उनकी एकजुटता को तोड़ने में लगे हैं.
पहले भी मच चुकी है सपा में कलह
गौरतलब है कि इससे पूर्व भी समाजवादी पार्टी यूपी में इसी अंतर्कलह के चलते सत्ता से गायब हो गयी थी. यही नहीं अमर और जयाप्रदा के चक्कर में मुलायम सिंह ने अपने पुराने साथी बेनी बाबू से भी नाता तोड़ लिया था. इसके बाद आज़म खान भी पार्टी छोड़कर चले गए थे. सबके पार्टी छोड़कर चले जाने के बाद अमर सिंह और जयाप्रदा की भी पार्टी में दाल गलना बंद हो गयी थी, जिसके बाद वह भी पार्टी छोड़कर चले गए थे.
क्या होगा मुलायम का सपना पूरा ?
और अब जब सभी पुराने नेताओं ने पार्टी में फिर से अपनी वापसी कर ली है तो आज़म की बेचैनी बढ़ गयी है और वह रोजाना उलटे सीधे बयान पार्टी के नेताओं के खिलाफ दे रहे हैं. बहरहाल ऐसे में सवाल इस बात का है कि क्या मुलायम सिंह ने जो सपना देखा है वह सच होगा या पार्टी में मचे इस घमासान में धराशाही हो जायेगा.